सुनिश्चित करें कि चांदनी चौक के री-डेवलपमेंट का काम चलता रहे, HC ने दिल्ली सरकार से कहा

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रदेश की सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि चांदनी चौक में किए गए पुनर्विकास और सौंदर्यीकरण कार्य को बरकरार रखा जाए और यह जारी रहे। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली उच्च न्यायालय
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रदेश की सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि चांदनी चौक में किए गए पुनर्विकास और सौंदर्यीकरण कार्य को बरकरार रखा जाए और यह जारी रहे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने बृहस्पतिवार को जारी एक आदेश में कहा कि चांदनी चौक के व्यापारी संघ की बेहतरी के लिए भी बाजार का पुनर्निर्माण किया गया था, और इसलिए इसके प्रति उनकी कुछ सामाजिक जिम्मेदारी भी है।

अदालत ने यह टिप्पणी चांदनी चौक के पुनर्विकास के संबंध में दर्ज एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर कार्यवाही बंद करते समय की।

अदालत ने चांदनी चौक इलाके में सड़कों के जंक्शन पर बूम-अवरोधकों और सीसीटीवी कैमरे लगाने सहित अधिकारियों द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस जनहित याचिका पर सुनवाई को जारी रखने का कोई कारण नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने आठ नवंबर को जारी एक आदेश में कहा, ‘‘हालांकि, दिल्ली सरकार से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है कि जो पुनर्विकास कार्य किया गया है वह जारी रहे और उसे बरकरार रखा जाए। ’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि व्यापारियों से अधिकारियों की सहायता करने की उम्मीद भी की जाती है।

पीठ ने कहा कि व्यापारी दिल्ली पुलिस के परामर्श से अपने लोगों को नियोजित करके बूम-अवरोधकों के प्रबंधन के लिए एक फार्मूला तैयार करने के लिए स्वतंत्र हैं।

अदालत ने पुलिस द्वारा उठाए गए इन कदमों का संज्ञान लिया कि अनधिकृत फेरीवालों और अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की गई है।

उच्च न्यायालय ने इस बात को भी संज्ञान में लिया कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की ओर से चांदनी चौक की मुख्य सड़क (लाल किला से फतेहपुरी तक) पर अनधिकृत वाहनों और फेरीवालों के प्रवेश को रोकने के लिए कैमरे लगाए गए थे और बीते एक साल में नियमों का उल्लंघन करने वालों से 19 लाख रुपये जुर्माना वसूल किया गया।

अदालत को यह भी बताया गया कि पैदल यात्रियों को सड़क पार करने में मदद करने और उन्हें मेट्रो का उपयोग करने के लिए जानकारी देने तथा क्षेत्र में मोटर वाहनों के प्रवेश को रोकने के लिए लाल किला चौक पर पर्याप्त कर्मचारी तैनात किए गए हैं।

अदालत ने सरकारी वकील के उस बयान को भी दर्ज किया कि यह सुनिश्चित करना सरकार, दिल्ली नगर निगम और अन्य अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि चांदनी चौक का पुनर्विकास तथा सौंदर्यीकरण बरकरार रहने के साथ ही जारी रहे ।










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