Dynamite Alert: यूपी में इस नई दहशत के सामने सरकार भी लाचार

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश में नई दहशत और आतंक के कारण बहराइच और लखीमपुर खीरी के लोग इन दिनों भयभीत हैं। सरकार भी भेड़ियों के आतंक से जनता को निजात दिलाने में बेबस और लाचार नजर आ रही है। भेड़ियों के खुंखार आक्रमण के कारण 10 लोगों की असमय मौत हो चुकी है। डाइनामाइट अलर्ट के इस अंक में देखिये यूपी के इस नये आतंक की व्यापक पड़ताल



नई दिल्ली: भेड़िये (Wolf) के भेष में छुपे हैवानों के अपराधनामे (Crimes) समय-समय पर सामने आते रहते हैं। ऐसे भेड़ियों से समाज को कब मुक्ति मिलेगी, इसका तो पता नहीं, लेकिन इन दिनों देश में असली भेडियों और जानलेवा जंगली जानवरों की दहशत भी अचानक बढ़ गई है।

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बहराइच (Bahraich) जनपद में भेड़ियों (Wolfs Terror) का आतंक तो लखीमपुर खीरी (Lakhimpur kheri) में बाघ (Tigers) ने भारी दहशत मचाई हुई है। बहराइच में भेड़ियों के मुंह इस कदर इंसानी खून लगा कि वे आदमखोर हो गये। यही हाल लखीमपुर खीरी का भी है।

इतिहास में बाघों और भेड़ियों के आदमखोर होने की ये कोई पहली घटना नहीं है, लेकिन बहुत बड़ी घटना जरूर है। बहराइच में विशाल झुंड में भेड़ियों का एक साथ जुटना और मिलकर हमला करना, इस घटना को अलग और खौफनाक बना देती है। 

भेड़िये कब किसको अपना शिकार बना लें, इसका किसी को पता नहीं। ऊपर से तुर्रा ये की बड़े-बड़े दावे करने वाले वन विभाग, पुलिस और प्रशासन भी इस नये तरह के आतंक से खौफ खाया और हाथ पर हाथ धरे बैठा है। दिन-रात एक करने के बाद भी सरकार की ये मशीनरियां भेड़ियों के आतंक से निजात दिलाने में विफल और विवश नजर आ रही हैं। बहराइच के भेडिये अब तक कई लोगों को अपना निवाला बना चुके है। ये भेड़िये कई बच्चों और किशोरों को रक्तरंजित कर अकाल मौत की नींद सुला चुके हैं। 

वन विभाग (Forest Department) की कई टीमें ड्रोन कैमरों से लेकर पिंजरे (Cage) और जाल लेकर इन आदमखोरों को पकड़ने के लिए रात-दिन पसीना बहा रही हैं। लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने में भी डर लग रहा है। हर किसी को एक ही बात सता रहीं हैं कहीं वो भेड़िये के अगले शिकार ना बन जाए। 

दहशत का पर्याय बन चुके भेड़िये को पकड़ने के लिए बहराइच में कई सारे जतन हो रहे हैं लेकिन अब तक पकड़ में केवल चार भेड़िये ही आ सके। इस दहशत का सबसे बड़ा विलेन लंगड़ा भेड़िया माना जा रहा है, जिसने अबतक सबसे ज्यादा शिकार किये है, ये वन विभाग की टीमों को लगातार गच्चा दे रहा है, वन विभाग क्षेत्र में 6 भेडियों के होने की बात कर रहा है, जबकि इससे उलट गांव वाले भेड़ियों के विशाल झुंड़ को देखने का दावा कर रहे हैं। 

35 गांव में भेड़ियों की दहशत 

बहराइच में इन दिनों भेड़ियों ने आतंक मचा रखा है। जिसके चलते बहराइच के 35 गांव के लोग दहशत में हैं। इन दिनों इंसान और जंगली जानवरों के बीच का संघर्ष चल रहा है। और वो संघर्ष कुछ इस मुकाम पर है कि पिछले 45 दिनों में जहां एक ही जिले में आदमखोर भेड़ियों के हमले में 9 बच्चों सहित 10 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, कई लोग हमले में घायल भी हो चुके हैं। कई गांवों में घुस आए खूंखार भेड़ियों की ड्रोन के ज़रिए ट्रैकिंगकी जा रही हैं, कहीं रात-रात भर जागकर लाठियों और बंदूकों का पहरा और तमाम जतन के बावजूद एक-एक कर खूंखार जानवरों का निवाला बनता बेबस इंसान।

नेपाल से सटे यूपी के इस जिले में टाइगर यानी बाघों का आतंक तो पुरानी बात है, लेकिन अब नई बात भेड़ियों की शक्ल में सामने आई है। भेड़िये कभी रात के अंधेरे में तो दिन के उजाले के बीच ही गांवों में घुस आते हैं और अक्सर बच्चों को दबोच कर भाग निकलते हैं। हालत कितनी खराब है, इसका अंदाजा बस इसी बात से लगा सकते हैं कि पिछले 45 दिनों में इन भेड़ियों की आहट से जिले के 35 गांवों के लोगों की नींद हराम हो चुकी है।

वन विभाग के छुटे पसीने 

वन विभाग की तरफ से भेड़ियों का रेस्क्यू करने के लिए पिंजरे का इस्तेमाल किया जा रहा है। ड्रोन से उनके हर गतिविधियों पर नजर रखने की कोशिश की जा रही है और पिंजरे में बकरी रखी जा रही हैं, ताकि लालच में भेडिया अंदर आए और फंस जाए। इसके अलावा भेड़ियों के रेस्क्यू के लिए जाल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

आदमखोर भेड़िये के आतंक से ग्रामीण दहशत में हैं, दिन में भी अगर वो खेतों में जा रहे हैं तो लाठी-डंडे लेकर साथ में चल रहे हैं। ताकि अगर भेड़ियां उनपर हमला करे तो उससे बचा जा सके। 

बच्चों का बना रहे हैं शिकार

भेड़ियों द्वारा 14 वर्ष तक के बच्चों को ही अपना शिकार बनाया जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि भेड़िया बच्चों को पकड़ने के बाद गर्दन मुंह से दबा देता है। जिससे बच्चों की आवाज बाहर नहीं निकलती है और वो बच्चों को जंगलों की तरफ लेकर भाग जाता है। आईये पहले आपको सुनाते हैं गांव वालो की दर्द की वो दास्तान जिसमे उनके अपने भेड़िये का शिकार बन गये...।

भेड़िये बड़े चालाक हैं, आसानी से पकड़ में नहीं आते। वैसे भी वो अकेले नहीं होते, बल्कि झुंड में शिकार करते हैं। ऐसे में अगर वन विभाग बड़ी मशक्कत से किसी भेड़िये को काबू कर भी ले तो बाकी का झुड छुट्टा ही रह जाता है और खतरा कम नहीं होता। 

हार कर अब लोगों ने शासन-प्रशासन से उम्मीद छोड़ कर खुद ही दिन-रात जागकर अपने नौनिहालों की रखवाली शुरू कर दी है। अब वन विभाग के ड्रोन कैमरे में कैद हुए भेड़ियों की तस्वीरें भी सामने आई हैं। जिनमें देखा जा सकता है कि कैसे दिन के उजाले में भी भेड़िये बिल्कुल बेख़ौफ़ जंगल से निकल कर गांवों की ओर बढ़ते जा रहे हैं।

शिकार का बदला टाइम

भेड़िये इतने शातिर हैं कि ज्यादातर बच्चों की ही निशाना बनाते हैं, क्योंकि 3 फीट तक लंबे इन भेड़ियों के लिए बच्चों को उठा कर ले जाना आसान होता है। अब चूंकि हाल के दिनों में लोगों ने रात-रात भर जाग कर भेड़ियों को भगाना शुरू कर दिया है, भेड़ियों ने हमले का टाइम चेंज कर दिया है। अब कभी भी कहीं भी धावा बोल देते हैं। बस हमला तभी करते हैं, जब लोग सो रहे हों या फिर बच्चे अकेले हों. और तो और हमले के लिए ये घरों में भी घुस आते हैं और अब इसी के चलते रात में पहरेदारी की जा रही है।

आम लोगों के साथ-साथ हाथ में बंदूक लिए बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह भी भेड़ियों का पीछा कर रहे हैं। जब से इलाके में भेड़ियों का आतंक बढ़ा है, नेताजी ने भी अपनी लाइसेंसी राइफल थाम कर आदमखोरों की तलाश बिल्कुल एक्टिव हो चुके हैं। लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद ना तो भेड़ियों का हमला थम रहा है और ना ही मासूमों की मौत रुक रही है। अकेले जिले के महसी तहसील में आठ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें भेड़ियों ने बच्चों को अपना निवाला बनाया है। 

26 अगस्त की रात को खैरीघाट इलाके के दीवानपुरवा से महज 5 साल के एक बच्चे अयांश को भेड़िया उठा ले गया। बच्चा अपनी मां के साथ सो रहा था, नींद खुलने पर महिला ने शोर मचाना शुरू किया। लोग बच्चे की तलाश में निकले लेकिन उसका कोई पता नहीं चला और बदनसीबी देखिए कि अगले दिन सुबह गांव से कुछ दूरी पर बच्चे की लाश पड़ी हुई मिली। इसी तरह कुम्हारनपुरा में भेड़ियों ने एक बुजुर्ग महिला को रात को घर से ही खींच लिया। भेड़ियों की पकड़ इतनी खतरनाक थी कि महिला चीख तक न सकी।

इससे पहले 21 तारीख को गांव भटौली में ऐसे ही अपनी दादी के साथ घर में सो रही एक बच्ची को एक भेड़िया उठा ले गया। भेड़िये ने बच्ची को मुंह से दबोच रखा था। दादी के शोर मचाने पर घरवाले बाहर निकले, तलाश शुरू की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार कई घंटे बाद बच्ची के अवशेष बरामद हुए। हालांकि ऐसा नहीं है कि बहराइच में लोगों की जिंदगी पर बन आए इन भेड़ियों से निपटने के लिए शासन प्रशासन कोई कोशिश नहीं कर रहा है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात है।

क्या बोले एडीजे ला एंड आर्डर प्रशांत कुमार 

यूपी के एडीजे ला एंड आर्डर प्रशांत कुमार का मामले पर हैरान करने वाला बयान सामने आया हैं। एडीजे ने कहा जानवर और मानव संघर्ष का ये कोई नया मामला नहीं इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं। 

डीएम बहराइच मौके पर

लगातार हो रही मौतो के बाद डीएम बहराइच मौके पर जांच करने पहुंची। इस दौरान डीएम मोनिका रानी ने कहा कि आदमखोर भेड़‍िये हमले के बाद नए गांवों को शिकार बना रहे हैं। भेड़‍िये जिस गांव में हमला कर रहे हैं, उसके बाद वहां से झुंड के साथ दूसरे गांवों की ओर चले जा रहे हैं। आदमखोर भेड़‍िये वन विभाग की टीम और पुलिस प्रशासन के कर्मचारियों को चकमा देकर दूसरे गांव में शिकार बना रहे हैं। डीएम बहराइच ने लोगों से खुले में न सोने की अपील की है। उन्‍होंने कहा कि लोग घर के अंदर या छत पर सोएं। 

घायलों का इलाज जारी 

बहराइच जिले में भेड़ियों के हमलों से घायल हुए लोगों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है। महासी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधीक्षक डॉ. आशीष वर्मा ने इस बात की पुष्टि की। डॉ. वर्मा ने मीडिया से बात करते हुए बताया, हमारे पास जानवरों के हमलों में घायल हुए कुल 34 लोगों की सूची है। सभी का इलाज किया गया है, जबकि दो को बहराइच के जिला अस्पताल में रेफर किया गया है। उनकी स्थिति स्थिर है।

यूपी के पांच वन प्रभागों यानी बहराइच, करतनियाघाट वाइल्ड लाइफ, श्रावस्ती, गोंडा और बाराबंकी में वन विभाग की 25 टीमें इन भेड़ियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है, मगर भेड़ियों हैं कि लगातार वनकर्मियों को छकाते जा रहे हैं। भेड़ियों की सही-सही तादाद को लेकर भी असमंजस के हालात हैं। बहराइच वन विभाग जहां इन भेड़ियों की तादाद कुल छह बता रहा है, वहीं तो ग्रामीण इस संख्या दो दर्जन यानी 24-25 के आस-पास बताते हैं। हालांकि वन विभाग ने अब चार भेड़ियों को पकड़ने का दावा भी किया है।

वन विभाग का नायाब तरीका

वैसे भेड़ियों को भगाने का अब वन विभाग ने नायाब तरीका भी ढूंढ निकाला है। इसके लिए खास तौर पर हाथियों की लीद और मूत्र मंगवाए जा रहे हैं। असल में वन विभाग का कहना है कि हाथियों की लीद और मूत्र में आग लगा कर धुआं पैदा करने से भेड़ियों को अपने आस-पास हाथियों की मौजूदगी का अहसास होने लगेगा और वो इलाका छोड़ कर भाग जाएंगे। वन अधिकारियों की मानें तो भेड़िये हाथियों से डरते हैं और उनसे दूर रहना चाहते हैं. वैसे वन विभाग की इन कोशिशों का नतीजा कब निकलेगा और कब बहराइच का ये इलाका भेड़ियों के आतंक से मुक्त होगा, ये फिलहाल कोई नहीं जानता।

भेड़ियों के लगातार बढ़ते हमलों के कारण यहां की हर सुबह दहशत के साथ शुरू होती है और रात खौफनाक सन्नाटे में गुजर जाती है। बड़ा, बूढ़ा, जवान हो या कोई बच्चा या महिला, यहां हर कोई दहशत के साये में जी रहा है। हर चेहरा उदास और लटका हुआ है। हर दिन किसी अनहोनी के सकते में गुजर जाती है। कोई नहीं जानता कि यहां के लोग कब चैन की नींद सोएंगे और उगते हुए सूरज के साथ एक-दूसरे का खिलखिलाता चेहरें देखे सकेंग। 










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