कोविड और अन्य बीमारियों का पता लगाने में मददगार होते हैं कुत्ते
नॉटिंघम 26 मई (द कन्वरसेशन) एक ओर जहां हम मनुष्य अपनी दृष्टि से दुनिया को देखते और समझते हैं तो वहीं कुत्ते गंध को समझकर आसपास के वातावरण के बारे में जानते हैं। वे अपनी सूंघने की क्षमता से ही भोजन, साथी और सुरक्षित स्थान की खोज करते हैं।
नॉटिंघम: 26 मई (द कन्वरसेशन) एक ओर जहां हम मनुष्य अपनी दृष्टि से दुनिया को देखते और समझते हैं तो वहीं कुत्ते गंध को समझकर आसपास के वातावरण के बारे में जानते हैं। वे अपनी सूंघने की क्षमता से ही भोजन, साथी और सुरक्षित स्थान की खोज करते हैं।
हमारे प्यारे दोस्त कहे जाने वाले कुत्ते अपनी सूंघने की शक्ति का उपयोग यह जानने के लिए भी कर सकते हैं कि लोग कैसा महसूस कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, वे मानव पसीने को सूंघकर भय का पता लगा लेते हैं।
इसे देखते हुए, यह शायद आश्चर्य की बात नहीं है कि कुत्तों के सूंघने की क्षमता का इस्तेमाल मानव स्वास्थ्य की निगरानी के लिए किया जा सकता है - जिसमें, संभावित रूप से कोविड जैसे संक्रामक रोगों का पता लगाना भी शामिल है।
कैलिफोर्निया के स्कूलों में हाल ही में किए गए एक अध्ययन में कुत्तों ने सूंघकर वायरसों का पता लगा लिया।
घ्राण शक्ति तेज होने की वजह से कुत्ते सूंघने के मामले में हमसे कहीं आगे होते हैं। अनुमानों के अनुसार, कुत्तों की सूंघने की क्षमता हमसे 10 हजार गुणा बेहतर होती है। इसकी वजह यह है कि उनकी नाक में 10 करोड़ गंध रिसेप्टर होते हैं जबकि मनुष्य की नाक में इनकी संख्या 60 लाख के आसपास होती है।
कुत्ते मनुष्यों की तुलना में बहुत कम जगह के अंदर विभिन्न गंध का पता लगा सकते हैं।
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दिलचस्प बात यह है कि कुत्ते अपनी नाक का अलग-अलग तरह से इस्तेमाल करते हैं। वे अपने दाहिने नथुने से सूंघना शुरू करते हैं, और यदि गंध परिचित और 'सुरक्षित' होती है, तो वे अपने बाएं नथुने से सूंघने लगते हैं।
बेशक, कुत्तों की नाक आकार में भिन्न होती हैं, लेकिन सभी में कई स्थितियों में गंध का पता लगाने की प्रभावशाली क्षमता होती है। कुत्तों को सूंघना बहुत पसंद होता है।
कुत्तों ने दिखाया है कि वे गंध के माध्यम से विभिन्न संक्रामक रोगों की सटीक पहचान कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, कुत्तों ने मलेरिया से संक्रमित बच्चों के पैरों की गंध सूंघकर संक्रमण का पता लगा लिया। कुत्ते मूत्र पथ (यूरिनरी ट्रैक्ट) में बैक्टीरिया संक्रमण और बैक्टीरिया ‘क्लोस्ट्रीडियम डिफिकल’ के कारण होने वाले पेट संबंधी संक्रमण का भी पता लगा सकते हैं।
कोविड महामारी के प्रारंभ में, यह स्पष्ट हो गया था कि संक्रमण का व्यापक, समयबद्ध और सटीक रूप से पता लगाने की आवश्यकता है। श्वसन संक्रमण के कारण कई प्रकार के पदार्थ निकलते हैं जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशिष्ट गंध होती है।
प्रारंभिक शोध से पता चला कि कोविड वायरस की गंध को लेकर प्रशिक्षण दिए जाने के केवल एक सप्ताह के बाद, कुत्तों ने अपनी श्वसन प्रणाली से संक्रमण की पहचान कर ली। उन्होंने समय पर संक्रमण के 83 मामलों की पहचान कर ली।
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एक बार श्वसन के नमूनों के बारे में प्रशिक्षित होने के बाद, कुत्तों ने पसीने और मूत्र जैसे अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के जरिए कोविड संक्रमण का पता लगा लिया।
हाल के अध्ययन में, कोविड की गंध का पता लगाने के लिए पहले से ही प्रशिक्षित दो कुत्तों को कैलिफोर्निया के 27 स्कूलों में ले जाया गया। वहां इन कुत्तों ने 3,897 लोगों की एड़ियां और पैर सूंघकर उनकी जांच की। इन लोगों में ज्यादातर बच्चे थे। इसके बाद उन लोगों की अलग से जांच की गई ताकि यह पता लगाया जा सके कि कुत्तों ने जो जांच की, वह कितनी सटीक है। इस जांच के बाद यह निष्कर्ष निकला कि कुत्ते कोविड-19 के संक्रमण का पता लगाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
(द कन्वरसेशन) जोहेब मनीषा
मनीषा