DN Exclusive: सरकारी संपत्ति को लेकर महराजगंज में आधी रात को भारी बवाल, रंगे हाथ पकड़ा गया ट्रक, ड्राइवर हुआ फरार, मौके पर पहुंचे SDM और EO, अफसरों ने की लीपापोती की तैयारी

डीएन ब्यूरो

लंबे वक्त से आरोप लग रहा था कि बीते 5 साल में नगर पालिका क्षेत्र और तहसील आदि की संपत्तियों पर एक व्यक्ति द्वारा खुलेआम डकैती डाली जा रही है। जब राष्ट्रीय राजमार्ग 730 का निर्माण हो रहा था तो नगर क्षेत्र के कई किलोमीटर में फैले इंटरलाकिंग के लाखों ईंटों से लेकर अधिकांश सरकारी संपत्तियों को अपने निजी इस्तेमाल में ले लिया गया। तमाम बार इन आरोपों की शिकायत हुई लेकिन अफसरों ने कभी कोई कार्यवाही नहीं की लेकिन इस बार सरकारी संपत्ति की चोरी कैमरों के सामने पकड़ी गयी तो बड़े अफसरों ने टेंडर के कागजों की आड़ में मामले की लोपापोती, झूठ बोलने और गुमराह करने का खेल शुरु कर दिया। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:



महराजगंज: आधी रात 3 बजे का वक्त था और जगह थी नगर पालिका क्षेत्र का नहर टैक्सी स्टैंड। नगर के कुछ जागरुक लोगों ने बिना नंबर प्लेट वाली नगर पालिका परिषद महराजगंज की एक बड़ी ट्रक को रंगे हाथों पकड़ लिया। इस ट्रक पर पुरानी तहसील के ढ़हाकर गिराये गये सामान लदे हुए थे। 

नगरवासियों ने जैसे ही इस ट्रक को पकड़ा वैसे ही ड्राइवर ट्रक को छोड़कर मौके से फरार हो गया। 

जब इसकी सूचना एसडीएम सदर मोहम्मद जसीम और नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी आलोक मिश्रा को दी गयी तो वे मौके पर आधी रात को मय फोर्स पहुंचे और ट्रक को अपने कब्जे में लिया। डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक एक सिपाही ने ट्रक को ले जाकर जिला मुख्यालय परिसर में खड़ा कर दिया है।

लंबे वक्त से आरोप लग रहा था कि बीते 5 साल में नगर पालिका क्षेत्र और तहसील आदि की संपत्तियों पर एक व्यक्ति द्वारा खुलेआम डकैती डाली जा रही है। जब राष्ट्रीय राजमार्ग 730 का निर्माण हो रहा था तो नगर क्षेत्र के कई किलोमीटर में फैले इंटरलाकिंग के लाखों ईंटों से लेकर अधिकांश सरकारी संपत्तियों को अपने निजी इस्तेमाल में ले लिया गया। तमाम बार इन आरोपों की शिकायत हुई लेकिन अफसरों ने कभी कोई कार्यवाही नहीं की लेकिन इस बार सरकारी संपत्ति की चोरी कैमरों के सामने पकड़ी गयी तो बड़े अफसरों ने कागजों की आड़ में मामले की लोपापोती, झूठ बोलने और गुमराह करने का खेल शुरु कर दिया।

सुनिये क्या सफाई दे रहे हैं एडीएम पंकज वर्मा
इस मामले में जब डाइनामाइट न्यूज़ ने लंबे समय से महराजगंज जिले में तैनात एडीएम पंकज वर्मा से प्रशासन का पक्ष पूछा तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया लेकिन ऑफ द रिकार्ड उन्होंने बताया कि पुरानी तहसील को गिराये जाने के बाद इकट्ठा हुए मलबे का टेंडर 4 लाख 53 हजार में मार्कण्डेय पुत्र मुखुत निवासी नेहरू नगर वार्ड नंबर 1 के नाम से 16 मार्च को आवंटित किया गया है। इसी का मलबा ले जाया जा रहा था। 

बिना नंबर प्लेट की सरकारी गाड़ी से क्यों ढ़ोया जा रहा था मलबा?
एडीएम की बुनी गयी कहानी में अनगिनत छेद हैं। यदि यह मान भी लिया जाये कि मलबे का टेंडर हुआ है तो उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि सरकारी गाड़ी से क्यों यह मलबा ढ़ोया जा रहा था? क्या टेंडर की शर्तों में यह लिखा गया था कि मलबा नगर पालिका की सरकारी गाड़ी से खरीदने वाले के ठिकाने तक पहुंचाया जायेगा?

क्यों नहीं ली गयी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष के ठिकाने की तलाशी? 
जब नगर वासियों ने खुलेआम कैमरों के सामने आरोप लगाया कि सरकारी सामान नगर पालिका के एक पूर्व अध्यक्ष के ठिकाने पर पिछले कई दिनों से ले जाया जा रहा है तो फिर प्रशासनिक अफसरों ने क्यों नहीं पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष के ठिकाने की तलाशी ली? क्या इससे प्रशासनिक मंशा पर संदेह के बादल नहीं गहराते?

ड्राइवर गाड़ी छोड़कर क्यों भागा?
सबसे बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि अगर कहीं कोई गड़बड़ी नहीं थी और सब कुछ ईमानदारी से टेंडर के मुताबिक हो रहा था तो फिर ड्राइवर नगर पालिका की बिना नंबर प्लेट वाली गाड़ी छोड़कर क्यों फरार हुआ?

रात के अंधेरे में क्यों हो रही ढुलाई?
भले अफसर तर्क दें कि धुल-धक्कड़ से बचने के लिए रात के अंधेरे में सरकारी संपत्ति की ढुलाई हो रही थी लेकिन यह तर्क किसी के गले से नहीं उतर रहा कि आखिर आधी रात को क्यों सरकारी संपत्ति की ढुलाई हो रही थी?

खरीददार कोई और तो फिर सरकारी संपत्ति कैसे पहुंच रही थी किसी खास के घर
एडीएम पंकज वर्मा की सफाई सवालों के घेरे में आ गयी है कि टेंडर के बाद सरकारी संपत्ति की ढुलाई हो रही थी लेकिन उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि जब टेंडर मार्कण्डेय पुत्र मुखुत ने खरीदा तो फिर यह सरकारी संपत्ति, सरकारी गाड़ी से भारी भ्रष्टाचार के संदेह के घेरे में आये एक खास व्यक्ति के ठिकानों पर कैसे गिराये जा रहे थे?

क्या टेंडर को किया गया मैनेज?
जितने मुंह उतनी बात। सवाल यह भी खड़े हो रहे हैं कि सरकारी संपत्ति पर डकैती का मिलीभगत कर नायाब तरीका ढूंढ़ा गया है। टेंडर अपने चहेते आदमी के नाम से लेकर सरकारी संपत्ति को यह खास व्यक्ति अपने ठिकानों पर गिरवाता रहा।

टेंडर की पूरी प्रक्रिया पर उठे सवाल
पांच सालों से जिले में लूट की खबरें आम हैं, इन सब चर्चाओं के बावजूद लंबे समय से जिले में जमे अफसरों ने कभी भी इसकी जांच की जहमत नहीं उठायी, ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकारी संपत्ति के जिस कथित टेंडर का दावा एडीएम पंकज वर्मा कर रहे हैं वह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रही है? टेंडर/नीलामी की क्या प्रक्रिया रही है? कितने लोगों ने टेंडर भरा? क्या यह टेंडर अफसरों के संरक्षण में मिलीभगत कर स्वीकृत किया गया? टेंडर/नीलामी की सूचना किन-किन अखबारों में दी गयी? कितने दिन का समय निविदाकर्ताओं को टेंडर भरने के लिए दिया गया? टेंडर/नीलामी स्वीकृत करने वाली कमेटी में कौन-कौन अफसर शामिल था? क्या सरकारी संपत्ति का ईमानदारी से मूल्यांकन किया गया और उसका ईमानदारी से दर निर्धारित किया गया? क्या संपत्ति का मूल्यांकन व दर तय करने वालों में कोई इस विषय का एक्सपर्ट भी शामिल था? क्या टेंडर/नीलामी की शर्तों में यह नियम शामिल था कि सरकारी संपत्ति को नगर पालिका की सरकारी गाड़ी से ढ़ुलवाकर स्थानांतरित कराया जायेगा? 

आरोप बेहद संगीन 
जिले के बड़े अफसर भले भ्रष्टाचारी को बचाना चाहें लेकिन उनका यह कदम दलदल में फंसने के समान होगा। पूरे शहर में जबरदस्त चर्चा है कि अंग्रेजों के जमाने की सदर तहसील को गिराये जाने के बाद की सरकारी संपत्ति के आकलन में जबरदस्त खेल बड़े अफसरों ने किया है। संपत्ति की कीमत काफी अधिक है लेकिन इसके बावजूद मिलीभगत कर इसकी सरकारी कीमत महज 4 लाख 53 हजार दिखाकर, टेंडर आवंटित कर दिया गया।

SIT जांच में फंसेगी बड़े अफसरों की भी गर्दन
बिना व्यापक जांच के जिस तरह एडीएम आनन-फानन में आरोपी को क्लिनचिट देने की तैयारी कर बैठे हैं उससे साफ है कि मामले में बड़ा झोल है और यदि सारे मामले की जिले से बाहर के अफसरों की SIT बनाकर ईमानदारी से व्यापक जांच हो गयी तो फिर इन अफसरों से जवाब देते नहीं बनेगा। 

जनता में भारी नाराजगी, मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने की तैयारी
फिलहाल अंदर की खबर यह है कि आम जनता में भ्रष्टाचार और सरकारी धन के लूट के इस मामले को लेकर भारी नाराजगी है कि कैसे जिले के अफसरों की नाक के नीचे लूट के सारे खेल को टेंडर के दिखावटी खानापूर्ति भरे कागजों की आड़ में अंजाम दिया जा रहा है। चर्चा तेज है कि निकाय चुनाव के परिणाम के बाद सारे मामले से मुख्यमंत्री को अवगत कराया जायेगा।  

एसडीएम मो जसीम का बयान
इस बारे में डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में एसडीएम मो जसीम ने कहा कि जब मुझे सारे मामले की जानकारी रात में हुई तो मैं मौके पर खुद ईओ आलोक मिश्रा के साथ पहुंचा और पुलिस को ट्रक की सुपुर्दगी करायी। एसडीएम ने कहा कि संज्ञान में आया है कि मलबे के ठेके को पूर्व चेयरमैन द्वारा लिया गया है।










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