अकल्पनीयः दिवाली की रात यहां लगता है देश-दुनिया के तांत्रिकों का मेला..तंत्र-मंत्रों की होती है साधना

डीएन ब्यूरो

दिवाली पर अमावस्या की रात को जहां चारों तरफ पटाखों का शोर और घरों में दीये जलाकर रात में जगमग रोशनी से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है, वहीं भारत में तीन जगहों पर दिवाली की रात को देश-दुनिया से तांत्रिक, तंत्र-मंत्र से मां लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें, तंत्र-मंत्र की साधना करने वाले इन तांत्रिकों के बारे में

दिवाली पर तंत्र-मंत्र की साधना
दिवाली पर तंत्र-मंत्र की साधना


नई दिल्लीः दिवाली की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। भारतभर में लोग घरों की सफाइयों में जुटे पड़े है। वहीं व्यापारी वर्ग भी ग्राहकों को लुभाने के लिये तरह-तरह के सामानों में बंपर ऑफर दे रहे हैं। दिवाली की रात जहां पूरे देश में जगह-जगह पटाखों का शोर सुनाई देता है और घर और बाजार हर तरफ जगमग रोशनी होती हैं वहीं देश में तीन जगह ऐसी है जहां पर दिवाली की रात को सन्नाटा छाया रहता है। यहां पर इस अमावस्या की रात को तंत्र साधना होती हौ मंत्रोंच्चारण होता है। बताया जाता है कि अमावस्या की आधी रात को सिद्धि प्राप्ति के लिये तांत्रिक दिवाली की रात विशेष साधान करते हैं।       

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अमावस्या की रात तपस्या करता साधु (सांकेतिक तस्वीर)

 

 

डाइनामाइट न्यूज़ आपको बताने जा रहा है भारत की उन तीन जगहों के बारे में जहां पर दिवाली की रात को होती है तंत्र-मंत्र की साधान, तांत्रिकों को प्राप्त होती है सिद्धिः

1.मध्य प्रदेश के जबलपुर में बाजनामठ स्थित तांत्रिक मंदिर में दिवाली की रात को पूजन का एक विशेष महत्व है। यह मान्यता है कि इस प्राचीन तांत्रिक मठ पर इस रात साधना से सिद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए हर वर्ष दिवाली पर यहां दुनियाभर के तांत्रित जुटते हैं। संसार में रहस्मयी जीवन जीने वाले तांत्रिक इस मठ तक बेहद गुप्त मार्ग से पहुंचते हैं।   

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2.दूसरा तांत्रिक मंदिर काशी में है और तीसरा महोबा में। भारत में ये तीन ऐसे मंदिर में जो तंत्र-मंत्र की विद्या के लिये जाने जाते हैं। यहां हर साल दिवाली की रात में देश-दुनिया के तांत्रिकों का मजमा लगता है और दिवाली की रात यहां पर एक अजीब ही माहौल और दुर्लभ वातावरण देखने को मिलता है।     

 

तंत्र-मंत्र की साधान करते तांत्रिक (सांकेतिक तस्वीर)

 

 

3.ब्रह्मपुराण के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या की रात धन की देवी लक्ष्मी भू लोक पर आती हैं। इस रात को जो भी मां की अराधना करता है वह विशेष फलदायी होता है। यहीं वजह है कि दिवाली की रात को साधना कर साधक तंत्र-मंत्र जगाते हैं। जबकि वैद्य व आयुर्वेद के जानकार औषधि जगता हें।       

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अग्नि का घेरा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

 

सिद्धि की प्राप्ति के लिये इस तरह की जाती है तंत्र-मंत्र की साधना  

1. सिद्ध तांत्रिकों के अनुसार बाजनामठ का मंदिर एक ऐसा तांत्रिक मंदिर है जिसकी हर ईंट शुभ नक्षत्र में मंत्रों द्वारा सिद्ध करके जमाई गई है। यहां विशेष मंत्रों के पाठ से दिवाली की रात को सभी मनोकामनायें पूरी होती है।

2. इस मठ के गुंबद में त्रिशूल से निकलने वाली प्राकृतिक ध्वनि-तरंगों से शक्ति जागृत होती है। इसलिये दिवाली की रात को तंत्र शास्त्र के अनुसार भैरव को जागृत करने के लिये उनका आह्वान और स्थापना नौ मुण्डों के आसन पर ही की जाती है।     

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तंत्रों की साधान करने वाला तांत्रिक (सांकेतिक तस्वीर)

 

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3. इस साधान में सिंह, श्वान, शूकर, भैंस और चार मानव-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र कइस प्रकार नौ प्राणियों की बली चढ़ाई जाती है। हालांकि अब समय के साथ बलि प्रथा पर कोर्ट ने रोक लगा दी है इसलिए इन सबके बुत बनाकर यहां पर कर्मकांड किया जाता है।

4.इतिहासकारों व पुरातत्वविदों के अनुसार तांत्रिक साधना केंद्र बाजनामठ के अलावा चौसठयोगिनी मंदिर भी तंत्र साधना के बड़े केंद्र रहे हैं। यहां भी दूर-दूर से साधक आते हैं। 

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