Uttarakhand: सीएम पुष्कर सिंह धामी को BJP के पूर्व सांसद ने दी ये सलाह, सर्वदलीय बैठक की मांग, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

उत्तराखंड विधानसभा के 200 से ज्यादा तदर्थ कर्मचारियों की बर्खास्तगी को 'असंवैधानिक' बताते हुए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाने और कानून के अनुरूप फैसला लेने की सलाह दी है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पुष्कर सिंह धामी
पुष्कर सिंह धामी


देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के 200 से ज्यादा तदर्थ कर्मचारियों की बर्खास्तगी को 'असंवैधानिक' बताते हुए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाने और कानून के अनुरूप फैसला लेने की सलाह दी है ।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में, पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री ने कहा कि राज्य विधानसभा से बर्खास्त किए गए 228 तदर्थ कर्मचारियों ने उन्हें चिट्ठी लिखकर कहा है कि उनके साथ अन्याय हुआ है ।

स्वामी ने कहा, 'मुझे आशा है कि आप सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे या अपने स्तर पर कानून के अनुरूप इन कर्मचारियों के पक्ष में कोई फैसला करेंगे क्योंकि मुझे भी लगता है कि इनके साथ अन्याय हुआ है ।'

उन्होंने कहा कि एक प्रदेश में एक ही तरह की प्रक्रिया के जरिए नियुक्त कर्मचारियों में भेदभाव करना उचित नहीं है ।

स्वामी ने अपने पत्र के साथ विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारियों द्वारा 14 फरवरी को उन्हें लिखी गई चिट्ठी भी संलग्न की है और उसकी एक प्रति विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को भी भेजी है ।

उन्होंने कहा, 'मुझे केवल आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि आप बर्खास्त किए गए तदर्थ कर्मचारियों को निश्चित रूप से फिर से बहाल कर देंगे ।'

बाद में एक ट्वीट में स्वामी ने यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि उन्होंने धामी को पत्र लिखकर उत्तराखंड विधानसभा के 228 कर्मचारियों की अन्यायपूर्ण बर्खास्तगी के मामले में कार्रवाई करने का आग्रह किया है ।

उन्होंने कहा, ' प्रथमद्रष्टया बर्खास्तगी असंवैधानिक है। मुझे आशा है कि अदालत में मुकदमा जरूरी नहीं है ।'

इन नियुक्तियों को 'बैक डोर' से किए जाने के आरोपों के बीच खंडूरी ने पिछले साल सितंबर में एक समिति का गठन किया था और उसकी सिफारिश के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने इन तदर्थ नियुक्तियों को रद्द कर दिया था ।

इन रद्द नियुक्तियों में 2015 में की गयी 150, 2020 में की गयी छह और 2021 में की गयी 72 नियुक्तियां शामिल हैं ।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भी बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली के एकल पीठ के आदेश को खारिज करते हुए नवंबर में विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को सही ठहराया था ।










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