दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के आरोपी ट्यूशन शिक्षक को जमानत देने से इनकार किया

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 12 वर्षीय एक छात्रा से छेड़छाड़ करने के आरोपी शिक्षक को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षक के पास इस विश्वास के साथ ट्यूशन पढ़ने के लिए भेजते हैं कि वह उनकी देखभाल करेगा, लेकिन यहां नाबालिग का उत्पीड़न किया गया।

दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल)
दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल)


नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 12 वर्षीय एक छात्रा से छेड़छाड़ करने के आरोपी शिक्षक को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि माता-पिता अपने बच्चों को शिक्षक के पास इस विश्वास के साथ ट्यूशन पढ़ने के लिए भेजते हैं कि वह उनकी देखभाल करेगा, लेकिन यहां नाबालिग का उत्पीड़न किया गया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि छात्रा से उम्र में 22 साल बड़े व्यक्ति ने शिक्षक के होने का फायदा उठाया और साथ ही उसने अच्छे और बुरे इरादे से छूने के बारे में बच्ची की अज्ञानता का भी लाभ उठाया।

अदालत ने कहा कि आरोपी ने न केवल पीड़िता के शरीर को स्पर्श किया, बल्कि शिक्षक के रूप में अपने रिश्ते को भी दागदार किया।

उच्च न्यायालय ने आरोपी की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया गया कि उसे यह विचार करते हुए जमानत दी जाए कि वह लंबे समय तक शिक्षण के पवित्र पेशे में रहा है।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांत शर्मा ने 12 जुलाई को यह आदेश जारी किया था जो मंगलवार को अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध हुआ। आदेश में यह कहा गया है, ‘‘ यह कहने की जरूरत नहीं है कि माता-पिता अपने बच्चों को, चाहे वे बेटियां हों या बेटे, ट्यूशन पढ़ने इस भरोसे और विश्वास के साथ भेजते हैं कि उनकी देखभाल शिक्षक करेंगे। वर्तमान मामले में, एक शिक्षक द्वारा नाबालिग पीड़िता की कम उम्र का फायदा उठाकर उसके यौन शोषण ने अपराध को गंभीर और संगीन बना दिया है।’’

अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता की ही इमारत में रहने वाला 34 वर्षीय व्यक्ति उसे ट्यूशन पढ़ाता था। मार्च 2021 में, जब बच्ची की मां घर से बाहर गई थी, तब उसने उसे अपने पास बुलाया और कथित तौर पर उसके साथ छेड़छाड़ की।

अभियोजन के मुताबिक व्यक्ति ने बार-बार यह कृत्य किया और धमकी दी कि अगर उसने इसकी जानकारी किसी को दी तो वह उसका करियर बर्बाद कर देगा।

 










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