रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले- 2047 तक विकसित देश बन जाएगा भारत

डीएन ब्यूरो

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में साइबर खतरों में वृद्धि के बीच प्रौद्योगिकी की प्रगति पर जोर देते हुए कहा कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र होगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह


पुणे: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में साइबर खतरों में वृद्धि के बीच प्रौद्योगिकी की प्रगति पर जोर देते हुए कहा कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र होगा।

सिंह ने महाराष्ट्र के पुणे जिले में उन्नत प्रौद्योगिकी रक्षा संस्थान (डीआईएटी) के दीक्षांत समारोह में कहा कि देश अब आत्मनिर्भर बन रहा है और आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार भारत 2027 तक विश्व अर्थव्यवस्था में तीसरे नंबर पर आ जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया तेजी से बदल रही है। रक्षा क्षेत्र में भी बदलाव आ रहे हैं। हम इस क्षेत्र में कई तकनीकी बदलाव देख सकते हैं। रक्षा क्षेत्र में कई समस्याएं भी उत्पन्न हुई हैं विशेषकर साइबर क्षेत्र में खतरे बढ़े हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, बदलते परिदृश्य के साथ हमें प्रौद्योगिकी में उन्नयन की ओर बढ़ना होगा। अगर चुनौती है तो समाधान है। अब प्रौद्योगिकी को उन्नत करने के लिए प्रयास होने चाहिए।’’

सिंह ने आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि हमें अन्य देशों से अलग होना चाहिए, ‘‘ लेकिन मकसद यह है कि बुनियादी आवश्यकताओं का निर्माण हम करें और हम उन्हें निर्यात करने में भी सक्षम हों।’’

उन्होंने कहा कि देश में उत्पादों के विनिर्माण से रोजगार सृजन में मदद मिलेगी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमने सपना देखा है कि भारत 2047 तक विकसित देश बन जाएगा।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत अब आत्मनिर्भर देश बन रहा है और भारत के दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्था बनने की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा, ‘‘ आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि 2027 तक भारत विश्व अर्थव्यवस्था में तीसरे नंबर पर आ जाएगा। अपने सपने को साकार करने के लिए हमें इस दिशा में काम करना चाहिए।’’

समारोह को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि डीआईएटी के 12वें दीक्षांत समारोह का हिस्सा बनकर उन्हें काफी खुशी हो रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘अपनी स्थापना के समय से ही संस्थान ने उल्लेखनीय काम किया है और (यहां से) आज मैं अपने देश का भविष्य देख सकता हूं।’’










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