Madhya Pradesh: सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर का डीप फ्रीजर खराब, शव में पड़े कीड़े, स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप

डीएन ब्यूरो

मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने सागर जिले के एक सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर के खराब फ्रीजर में पोस्टमार्टम के लिए रखे शव में कीड़े पड़ने की खबर का संज्ञान लेते हुए मामले में संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों से रपट तलब की है।

मुर्दाघर में खराब पड़ा डीप फ्रीजर
मुर्दाघर में खराब पड़ा डीप फ्रीजर


भोपाल: मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने सागर जिले के एक सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर के खराब फ्रीजर में पोस्टमार्टम के लिए रखे शव में कीड़े पड़ने की खबर का संज्ञान लेते हुए मामले में संबंधित स्वास्थ्य अधिकारियों से रपट तलब की है।

आयोग के सदस्य राजीव कुमार टंडन ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘सागर जिले के बीना के सिविल अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। पुलिस ने दो दिन पहले पोस्टमार्टम के लिए एक अज्ञात शव अस्पताल के मुर्दाघर रखवाया था। दो दिन बात जब मुर्दाघर को खोला गया, तो शव बुरी तरह से सड़ गया था उसमें कीड़े पड़ चुके थे, दुर्गंध कमरे के बाहर तक आ रही थी। ऐसा इसलिये हुआ कि क्योंकि मुर्दाघर का ‘डीप फ्रीजर’ खराब था।’’

उन्होंने कहा कि शव का आनन-फानन में पोस्टमार्टम कर इसे दफना दिया गया। उन्होंने दावा किया कि मुर्दाघर में इस कदर दुर्गंध फैली थी कि ‘डीप फ्रीजर’ की मरम्मत के लिए आया तकनीशियन भी बुरी तरह सड़ चुके शव की बदबू से परेशान होकर काम छोड़कर भाग गया।

टंडन ने कहा, सूचना है कि ‘डीप फ्रीजर’ बारह दिन से काम नहीं कर रहा था, जबकि मुर्दाघर और उसके उपकरणों के देखरेख पूरी जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की होती है।

सिविल अस्पताल प्रबंधन की इस गंभीर लापरवाही पर संज्ञान लेकर एमपीएचआरसी ने मामले में सागर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से प्रकरण के संबंध में पूर्ण प्रतिवेदन मांगा है। साथ ही यह भी पूछा है कि डीप फ्रीजर कब खरीदा था और इसकी एनुअल मेंटेनेंस कांट्रेक्ट (एएमसी) वगैरह है या नहीं?

घटना के मंगलवार को सामने आने के बाद प्रखंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) को पद से हटा दिया गया और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

जिलाधिकारी दीपक आर्य ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया है। घटना सागर जिले के बीना कस्बे के सदर अस्पताल की है।

बीना थाना प्रभारी कमल निगवाल ने बुधवार को बताया कि जिले के उरैया गांव में एक अप्रैल की रात एक लावारिस शव मिला था, जिसे सिविल अस्पताल के संबंधित कर्मचारियों को विधिवत सूचित करने के बाद मुर्दाघर के फ्रीजर में रख दिया गया।

निगवाल ने आरोप लगाया, स्वास्थ्य कर्मचारियों ने यह नहीं बताया था कि फ्रीजर काम नहीं कर रहा है।

वहीं बीएमओ संजीव अग्रवाल ने भी कहा कि उन्हें संबंधित कर्मचारियों द्वारा फ्रीजर काम नहीं करने की जानकारी नहीं दी गई थी।

उन्होंने कहा कि तीन दिन तक मृतक की शिनाख्त नहीं हो पाने के कारण पोस्टमार्टम में देरी हुई।

अग्रवाल ने दावा किया कि शव पूरी तरह से नहीं सड़ा था और उसके कुछ हिस्सों पर ही कीड़े देखे गए। उनका कहना था कि मामला उनकी जानकारी में आने के बाद मंगलवार को पोस्टमार्टम किया गया।










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