चीतों की मौत: केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान 29 मई को करेंगे बैठक

डीएन ब्यूरो

पिछले दो महीनों में तीन चीता शावकों सहित छह चीतों की मौत के मद्देनजर केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नामीबिया और दक्षिणअफ्रीका से कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में लाये गये चीतों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 29 मई को बैठक करेंगे। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

चीतों की मौत (फाइल)
चीतों की मौत (फाइल)


भोपाल: पिछले दो महीनों में तीन चीता शावकों सहित छह चीतों की मौत के मद्देनजर केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में लाये गये चीतों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 29 मई को बैठक करेंगे। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

केएनपी में जन्मे चार चीता शावकों में से तीन शावकों की मौत 23 मई को हुई, जबकि नामीबिया से लाये गये चीतों में से एक साशा की 27 मार्च को गुर्दे की बीमारी के कारण मौत हो गयी । दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते उदय की 13 अप्रैल को मौत हो गयी थी। दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा ने इस साल नौ मई को दम तोड़ दिया था।

अधिकारी ने कहा कि चौहान की अध्यक्षता में भोपाल में मुख्यमंत्री निवास समत्व भवन में शुक्रवार को प्रदेश में चीतों के बसाने संबंधी गतिविधियों की समीक्षा हुई। मुख्यमंत्री को वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने चीतों को बसाने, उनको पृथक-वास में रखने की अवधि और उनकी देख-रेख से जुड़े विभिन्न पहलु पर जानकारी दी।

इस समीक्षा बैठक में प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रधान मुख्य वन संरक्षक रमेश कुमार गुप्ता, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) जे एस चौहान और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) शुभ रंजन सेन भी उपस्थित थे।

मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग की विज्ञप्ति के अनुसार इस समीक्षा बैठक में प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) जे एस चौहान द्वारा कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की वर्तमान स्थिति और चीता शावकों की मृत्यु के कारणों की जानकारी दी गई।

जे एस चौहान ने बताया कि 23 मई को तीन चीता शावकों की हुई मृत्यु के संभावित कारण पोषण में कमी तथा अत्यंत गर्मी का मौसम प्रतीत होता है। चौथे शावक का वन्यप्राणी चिकित्सकों की निगरानी में इलाज किया जा रहा है। इस शावक के स्वास्थ्य में सुधार दिख रहा है।

वन अधिकारी ने बताया, ‘‘मृत शावकों का वजन अत्यंत कम 1.6 किलोग्राम था, जबकि मानकों के अनुसार इस आयु के शावकों का वजन लगभग 3 किलोग्राम होना चाहिये।’’

उन्होंने कहा कुल छह चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया है, जिनकी दिन-रात निगरानी की जा रही है। उनके अनुसार आगामी दिनों में तीन और चीतों को खुले जंगल में छोड़े जाने की योजना है।

जे एस चौहान ने बताया, ‘‘मध्य प्रदेश के गांधीसागर अभयारण्य में भी आवश्यक तैयारी प्रारंभ हो चुकी हैं, जो नवम्बर तक पूरी होने की संभावना है। इसी तरह प्रदेश के नौरादेही अभयारण्य में भी तैयारी प्रारंभ की जानी है।’’

उन्होंने कहा कि बैठक में निर्देश दिये गये कि नौरादेही तथा गांधीसागर अभयारण्य में इन तैयारियों के लिए समयसीमान निर्धारित कर इसे नवगठित ‘प्रोजेक्ट चीता स्टीयरिंग कमेटी’ से अनुमोदन करवायें।

सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने स्थिति की निगरानी करने और चीता टास्क फोर्स के साथ महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए 11 सदस्यीय स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया है।

वर्ष 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में आखिरी चीते के शिकार के बाद पिछले साल सितंबर में नामीबिया से केएनपी में लाई गई ज्वाला नाम की मादा चीते ने इस साल मार्च के अंतिम सप्ताह में चार शावकों को जन्म दिया। भारत की धरती पर पैदा होने वाले ये पहले शावक थे, जिनमें से तीन शावकों की तीन दिन पहले मौत हो चुकी है जबकि चौथे शावक का इलाज चल रहा है।

धरती पर सबसे तेज दौड़ने की विशेषता वाले इस वन्यजीव को 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। 17 सितंबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नामीबिया से लाए गए पांच मादा और तीन नर चीतों को केएनपी में बाड़ों में छोड़ दिया गया। अन्य 12 चीतों को फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था और अलग-अलग बाड़ों में रखा गया।

 










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