अदालत ने समीर वानखेड़े को कठोर कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा की अवधि 10 जनवरी तक बढ़ाई
बंबई उच्च न्यायालय ने आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) अधिकारी समीर वानखेड़े को कठोर कार्रवाई से दी गई अंतरिम सुरक्षा की अवधि मंगलवार को 10 जनवरी तक बढ़ा दी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) अधिकारी समीर वानखेड़े को कठोर कार्रवाई से दी गई अंतरिम सुरक्षा की अवधि मंगलवार को 10 जनवरी तक बढ़ा दी।
वानखेड़े को कॉर्डेलिया क्रूज नशीले पदार्थ मामले से संबंधित जबरन वसूली और रिश्वत मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोपी बनाया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति पी डी नाइक और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि वह सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करने वाली वानखेड़े की याचिका पर 10 और 11 जनवरी, 2024 को सुनवाई करेगी।
सीबीआई की ओर से पेश वकील कुलदीप पाटिल ने मंगलवार को अदालत से कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता 10 या 11 जनवरी को सीबीआई की ओर से बहस करेंगे।
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वानखेड़े के वकील आबाद पोंडा ने कहा कि वह 10 जनवरी को बहस करेंगे।
सीबीआई ने स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व मुंबई जोनल निदेशक वानखेड़े और अन्य के खिलाफ ब्यूरो द्वारा जारी एक लिखित शिकायत के आधार पर मई में प्राथमिकी दर्ज की थी।
केंद्रीय एजेंसी का मामला यह है कि वानखेड़े और चार अन्य आरोपियों ने 2021 में एक क्रूज जहाज से कथित रूप से नशीले पदार्थ जब्त किए जाने के बाद अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को नहीं फंसाने के एवज में उनसे 25 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी।
वानखेड़े ने बाद में उच्च न्यायालय का रुख किया और मामले को रद्द किए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने उन्हें हर प्रकार की कठोर कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा दिए जाने का भी अनुरोध किया था।
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वानखेड़े और मामले के अन्य आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और रिश्वतखोरी से संबंधित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आपराधिक साजिश और जबरन वसूली की धमकी के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
आर्यन खान और कुछ अन्य व्यक्तियों को नशीले पदार्थ रखने, उनका सेवन करने और तस्करी करने के आरोप में अक्टूबर 2021 में गिरफ्तार किया गया था। उच्च न्यायालय ने बाद में आर्यन खान को जमानत दे दी थी। आर्यन करीब तीन सप्ताह जेल में रहे।
एनसीबी ने बाद में अपना आरोप पत्र दाखिल किया, लेकिन सबूतों की कमी का हवाला देते हुए मामले में आर्यन खान को आरोपी के रूप में नामजद नहीं किया।
इसके बाद एनसीबी ने मामले की और अपने ही अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के लिए एक विशेष अन्वेषण दल का भी गठन किया।