अंतरिम बजट में उपभोक्ता मांग, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उपायों की उम्मीद
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को अंतरिम बजट में उपभोग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के अलावा मुद्रास्फीति को नीचे लाने के उपायों को जारी रखेंगी। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। यह सीतारमण का लगातार छठा बजट होगा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को अंतरिम बजट में उपभोग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के अलावा मुद्रास्फीति को नीचे लाने के उपायों को जारी रखेंगी। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। यह सीतारमण का लगातार छठा बजट होगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि उपभोग को बढ़ावा देने का एक तरीका लोगों के हाथों में अधिक पैसा देना है, और ऐसा करने का एक संभावित तरीका कर स्लैब में बदलाव करना या मानक कटौती में बढ़ोतरी के जरिये लोगों पर कर का बोझ कम करना हो सकता है।
एक अन्य प्रस्ताव ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना-मनरेगा के तहत धनराशि बढ़ाने और किसानों के लिए अधिक भुगतान से संबंधित है।
विशेषज्ञों ने कहा कि आम चुनाव से पहले उपभोग को बढ़ावा देने के सीतारमण के प्रयास के तहत महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को अतिरिक्त प्रोत्साहन मिल सकते हैं।
आमतौर पर आम चुनावों से पहले लोकसभा में पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट में नए कर प्रस्ताव या नई योजनाएं शामिल नहीं होती हैं।
अंतरिम बजट में सरकार वित्त वर्ष 2024-25 के चार माह के लिए अपने खर्चों को पूरा करने के लिए संसद से अनुमति मांगेगी।
इसमें तत्काल ऐसी आर्थिक समस्याओं के समाधान के प्रस्ताव शामिल हो सकते हैं, जिनके लिए चार महीने तक इंतजार नहीं किया जा सकता।
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विशेषज्ञों के अनुसार, अर्थव्यवस्था में सुस्त उपभोग मांग से संबंधित मुद्दों का समाधान करने की तत्काल जरूरत है।
डेलॉयट इंडिया के भागीदार रजत वाही ने कहा कि कंपनियों ने एफएमसीजी और रोजमर्रा के इस्तेमाल के ज्यादातर उत्पादों के दाम पिछली आठ-10 तिमाहियों में बढ़ाए हैं। कंपनियों को उत्पादन लागत में बढ़ोतरी की वजह से यह कदम उठाना पड़ा है।
वाही ने कहा, ‘‘ऐसे में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के प्रभाव, उत्पादन लागत में बढ़ोतरी, महंगाई, ऊंची ब्याज दरों..इन सभी चीजों से निम्न आय वर्ग के लोग प्रभावित हो रहे हैं। सिर्फ ग्रामीण इलाकों में ही यह स्थिति नहीं है, बल्कि शहरों क्षेत्रों के गरीब वर्ग को भी इसकी मार झेलनी पड़ रही है।’’
वाही ने कहा कि मूल्यवृद्धि का बड़ा प्रभाव समाज के गरीब वर्ग पर पड़ रहा है क्योंकि कर्ज चूक या डिफॉल्ट की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की वृद्धि उतनी नहीं है जितना सरकार मानकर चल रही थी। सरकार का इरादा कृषि आय को दोगुना करने का था लेकिन महंगाई की वजह से इसे अभी तक हासिल नहीं किया जा सका है।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अग्रिम अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 1.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2022-23 में यह चार प्रतिशत रही थी।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेन्द्र कुमार पंत ने कहा कि लेखानुदान का मुख्य उद्देश्य सरकार को अगले वित्त वर्ष के चार महीनों के लिए वेतन, मजदूरी, ब्याज और कर्ज भुगतान के लिए पैसा खर्च करने की अनुमति देना है।
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उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन समाज के कुछ वर्ग दबाव में है। क्या हम उनके लिए कोई कदम उठाने को चार-पांच माह और इंतजार कर सकते हैं। यदि हम पांच महीने बाद कुछ करेंगे, तो उनकी स्थिति और खराब हो जाएगी। अंतरिम बजट में इस वर्ग के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं।’’
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-नवंबर की अवधि के दौरान टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र का उत्पादन 0.6 प्रतिशत घटा है। हालांकि, इस आठ माह की अवधि में गैर-टिकाऊ सामान क्षेत्र का उत्पादन 5.6 प्रतिशत बढ़ा है, लेकिन इसकी प्रमुख वजह अनुकूल आधार प्रभाव है। 2022 की अप्रैल-नवंबर की अवधि में इस क्षेत्र के उत्पादन में 2.2 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
डेलॉयट इंडिया के भागीदार संजय कुमार ने कहा, ‘‘उपभोग मांग बढ़ाने का एक प्रमुख तरीका नई कर व्यवस्था में कुछ बदलाव कर इसे अधिक आकर्षक बनाना हो सकता है। इससे करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा रहेगा।’’
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘बजट में हमेशा कर स्लैब में बदलाव का मामला रहता है। नई कर व्यवस्था में सरकार पर संभवत: आवास ऋण के ब्याज पर कटौती को शामिल करने का दबाव होगा।’’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार यह भी चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा करदाता नई कर व्यवस्था को अपनाएं।