सीबीएसई और सीआईसीएसई स्कूलों में कन्नड़ भाषा की अनिवार्य पढ़ाई को हाई कोर्ट में चुनौती, जानिये पूरा मामला
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य में संचालित केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय स्कूल प्रमाण-पत्र परीक्षा परिषद (सीआईसीएसई) के विद्यालयों में कन्नड़ भाषा की अनिवार्य पढ़ाई को चुनौती देने वाली एक याचिका पर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।
बेंगलुरू: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य में संचालित केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय स्कूल प्रमाण-पत्र परीक्षा परिषद (सीआईसीएसई) के विद्यालयों में कन्नड़ भाषा की अनिवार्य पढ़ाई को चुनौती देने वाली एक याचिका पर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सीबीएसई/सीआईसीएसई विद्यालयों में पढ़ने वाले ऐसे 20 बच्चों के अभिभावकों ने कन्नड़ भाषा शिक्षण अधिनियम 2015, कन्नड़ भाषा शिक्षण नियमावली 2017 और कर्नाटक शैक्षिक संस्थान (अनापत्ति प्रमाण-पत्र और नियंत्रण नियमावली), 2022 के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिनके तहत विद्यार्थियों को पहली, दूसरी या तीसरी भाषा के रूप में कन्नड़ सीखना अनिवार्य बनाया गया है।
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याचिका में दलील दी गयी है कि उपरोक्त अधिनियम कर्नाटक में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों के अपनी पसंद की पहली, दूसरी और तीसरी भाषा का अध्ययन करने के अधिकार को गंभीर और प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं। इसका छात्रों के शैक्षणिक परिणाम पर गंभीर प्रभाव और भविष्य में उनके शैक्षणिक एवं रोजगार के अवसरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
यह याचिका बेंगलुरु के सोमशेखर सी, श्रीनिवास गांवकर, गेराल्डिन पेरपेटुआ एंड्रयूज, अनीशा हुसैन और 16 अन्य अभिभावकों द्वारा दायर की गई है।
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इस मामले में कर्नाटक, भारत सरकार, सीबीएसई और सीआईसीएसई को प्रतिवादी बनाया गया है, जिसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और न्यायमूर्ति एम. जी. एस. कमल की पीठ ने की, जिसने नोटिस जारी किया।