एयर इंडिया की पूरी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी: नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा कि सरकार का काम एयरलाइन चलाना नहीं है और इसलिए सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी बेची जानी चाहिये। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़ें पूरी खबर..
नई दिल्ली: नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा कि सरकार का काम एयरलाइन चलाना नहीं है और इसलिए सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी बेची जानी चाहिये।
पुरी ने यहाँ एक कार्यशाला में संवादादाताओं से कहा “सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए प्रतिबद्ध है। एयर इंडिया उत्तम श्रेणी की एयरलाइन है। उसका सुरक्षा रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है। लेकिन एयरलाइन चलाना सरकार का काम नहीं है। एयर इंडिया का निजीकरण करना ही होगा, लेकिन उसके बावजूद वह एयर इंडिया बनी रहेगी, देश का गौरव बनी रहेगी।”
विमानन क्षेत्र में नौकरी खोजने वालों और नौकरी देने वालों को एक ही मंच पर लाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्री ने इस मौके पर ‘एविएशन जॉब्स पोर्टल’ के नाम से एक वेबसाइट भी लॉन्च की।
Hardeep Puri, Union Civil Aviation Minister: Whoever acquires Air India will be very fortunate and will be able to run it according to strong private sector principles. https://t.co/2DbVSUaMOm
— ANI (@ANI) August 29, 2019
संवाददाताओं के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि एयर इंडिया के विनिवेश के लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने मंत्रियों के समूह की पहली बैठक जल्द ही होने वाली है। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया का पूर्ण विनिवेश ही एक मात्र विकल्प है - यह काम जल्द से जल्द किया जाना चाहिये और हम सबसे अच्छा सौदा करेंगे।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश के लिए पिछले साल के आरंभ में निविदा जारी की थी, लेकिन उसे कोई खरीददार नहीं मिला। पिछली बार कंपनी की 76 प्रतिशत तक हिस्सेदारी बेचने के लिए निविदा आमंत्रित की गयी थी।
केंद्रीय मंत्री ने विश्वास जताया कि इस बार विनिवेश प्रक्रिया सफल रहेगी। एयरलाइन पूरी तरह परिचालन में है और नेटवर्क का विस्तार भी कर रही है। एक खरीदार के लिए यह अच्छा मौका है। उन्होंने कहा कि देश एवं विदेश के कई संभावित खरीददारों ने एयर इंडिया में रुचि दिखाई है, लेकिन अभी उनका नाम सार्वजनिक करना उचित नहीं होगा।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि विमान ईंधन पर कर की ऊँची दर के कारण विमान सेवा प्रदाता कंपनियों पर दबाव की स्थिति से वह अवगत हैं और इस संबंध में वित्त मंत्रालय से लगातार बात चल रही है। उन्होंने बताया कि अभी विमान ईंधन पर कुल मिलाकर लगभग 40 प्रतिशत कर लगता है। वह आज ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस बारे में एक नोट सौपेंगे।
पुरी ने स्वीकार किया कि विमानों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉलिंग तथा पट्टे पर लगने वाली कर की दरें भी काफी ऊँची हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जिस प्रकार से कारोबार को बढ़ावा देने के लिए एक के बाद एक घोषणाएँ कर रही है, उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही इन दोनों क्षेत्रों के लिए भी कर की दरों में कटौती की जायेगी।