सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी को आरोपपत्र दाखिल करने से पहले ये काम पूरा करने को कहा

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि जांच एजेंसी को किसी आरोपी को उसे मिलने वाली स्वत: जमानत (डिफॉल्ट बेल) से वंचित करने के लिए जांच पूरी किये बिना अदालत में आरोप पत्र दाखिल नहीं करना चाहिए। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Updated : 26 April 2023, 7:11 PM IST
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नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि जांच एजेंसी को किसी आरोपी को उसे मिलने वाली स्वत: जमानत (डिफॉल्ट बेल) से वंचित करने के लिए जांच पूरी किये बिना अदालत में आरोप पत्र दाखिल नहीं करना चाहिए।

आपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 के अनुसार, अगर जांच एजेंसी आरोपी को हिरासत में लिए जाने की तारीख से 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो वह आरोपी स्वत: जमानत का हकदार होगा। अपराध की कुछ श्रेणियों के लिए, निर्धारित अवधि को 90 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।

अपनी व्यवस्था में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, ‘‘अगर कोई जांच एजेंसी जांच पूरी किए बिना आरोपपत्र दाखिल करती है, तो इससे आरोपी का स्वत: जमानत पाने का अधिकार खत्म नहीं होगा।’’

शीर्ष अदालत ने यह फैसला एक आपराधिक मामले में आरोपी की जमानत मंजूर करते हुए दिया।

Published : 
  • 26 April 2023, 7:11 PM IST