केंद्र सरकार पांच डीम्ड-टू-बी-विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति करेगी
केंद्र सरकार अब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस), दयालबाग शैक्षणिक संस्थान सहित पांच डीम्ड टू बी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों या प्रमुखों की नियुक्ति करेगी और अब उनको प्रायोजित करने वाले ट्रस्ट या सोसाइटी यह कार्य नहीं करेंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार अब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस), दयालबाग शैक्षणिक संस्थान सहित पांच डीम्ड टू बी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों या प्रमुखों की नियुक्ति करेगी और अब उनको प्रायोजित करने वाले ट्रस्ट या सोसाइटी यह कार्य नहीं करेंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा नये नियमों को अधिसूचित करने के बाद नियुक्तियों में यह बदलाव आया है। यह नया विनियमन यूजीसी ( संस्थान डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय) विनियमन है।
नये विनियमन के अनुसार, अपनी वार्षिक आय की तुलना में सरकार से 50 प्रतिशत से अधिक कोष प्राप्त करने वाले डीम्ड विश्वविद्यालयों के प्रमुखों की नियुक्ति अब केंद्र सरकार करेगी।
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इसके अलावा शेष मामलों में कुलपतियों की नियुक्ति खोज एवं चयन समिति द्वारा सुझाए गए तीन नामों में से चांसलर करेंगे।
इस संबंध में सबसे पहला विनियमन 2010 में अधिसूचित हुआ था, इसके बाद इसमें 2016 और 2019 में संशोधन किया गया था।
इस पांच डीम्ड टू बी विश्वविद्यालयों में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस), दयालबाग शैक्षणिक संस्थान आगरा, गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद, अविनाशलिंगम इंस्टीट्यूट फार सोशल साइंस एंड हायर एजुकेशन फार वीमेन कोयंबटूर और गुरूकुल कांगड़ी हरिद्वार शामिल हैं।
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इस कदम पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आपत्ति व्यक्त की है। रमेश ने ट्वीट किया कि वर्षो से भारत सरकार टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) का वित्त पोषण करती रही है और लगातार सरकारों ने टाटा ट्रस्ट को संचालन समिति का अध्यक्ष नियुक्ति करने एवं बोर्ड को निदेशक चुनने की अनुमति देकर स्वायत्तता सुनिश्चित की है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अब भारत सरकार अध्यक्ष और निदेशक दोनों को नियुक्त करेगी और हम जानते हैं कि इसका क्या अर्थ है, खासतौर पर सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में।