महराजगंज जिले की सबसे बड़ी खबर: जिलाधिकारी ने की सिसवा नगर पालिका अध्यक्ष को बर्खास्त करने की सिफारिश, फाइल शासन में अटकी

शिवेंद्र चतुर्वेदी

महराजगंज जिले में खबर मतलब सिर्फ और सिर्फ डाइनामाइट न्यूज़। इसी साल मार्च महीने में सिसवा नगर पालिका की चेयरमैन बनी शकुंतला देवी जायसवाल को बर्खास्त करने की संस्तुति जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार झा ने शासन से की है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:

मार्च महीने में जीत के बाद प्रमाण पत्र लेतीं शकुंतला देवी की बढ़ी मुसीबत (फाइल फोटो)
मार्च महीने में जीत के बाद प्रमाण पत्र लेतीं शकुंतला देवी की बढ़ी मुसीबत (फाइल फोटो)


महराजगंज: सिसवा बाजार की जनता इस बात में उलझी है कि क्या सिसवा में निकाय चुनाव अगले महीने पूरे राज्य के चुनाव के साथ होगा? यह सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ है क्योंकि वर्तमान अध्यक्ष शकुंतला देवी की रिट पर हाईकोर्ट ने दिये आदेश के तहत इनका कार्यकाल पांच साल रखे जाने का आदेश दिया है। इस आदेश के खिलाफ शकुंतला देवी के राजनीतिक विरोधियों ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल कर दी है। जिस पर सुनवाई की अगली तारीख 11 नवंबर तय की गयी है। 
इस बीच डाइनामाइट न्यूज़ पर सबसे बड़ी खबर आ रही है। यह खबर सबसे पहले आप सिर्फ और सिर्फ जिले की धड़कन डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़ रहे हैं।


अनियमितता व भ्रष्टाचार से जुड़ी एक शिकायत की जांच जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय टीम गठित कर करायी। इस जांच टीम में अतिरिक्त मजिस्ट्रेट, मुख्य कोषाधिकारी तथा अधिशासी अभियंता आरईएस शामिल थे। इस संयुक्त जांच में शकुंतला देवी दोषी पायी गयी। 

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इसके बाद जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार झा ने पत्रांक संख्या 2855/एल.बी.ए./2022-23 दिनांक 28 जून 2022 के माध्यम से प्रमुख सचिव नगर विकास को पत्र भेज नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 48 के उल्लघंन में पद से हटाये जाने की संस्तुति की है। अब यह फाइल शासन में अटकी है। इस पर शासन के निर्णय लेते ही नगर पालिका का राजनीतिक मिजाज बदल जायेगा। डाइनामाइट न्यूज़ को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सत्तारुढ़ दल के एक नेता लखनऊ में नगर पालिका अध्यक्ष की पैरवी कर रहे हैं। 

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सिसवा नगर पालिका तेजी से चुनाव के मुहाने की तरफ बढ़ रहा है। यदि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी या फिर शासन ने डीएम की संस्तुति पर अपनी मुहर लगा दी तो सिसवा में चुनाव का रास्ता साफ हो जायेगा। कुल मिलाकर वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है।
जांच टीम के मुताबिक मार्च में चुनाव जीतने के तुंरत बाद एक अप्रैल को नये बोर्ड की बैठक हुई और इसमें साढ़े 11 करोड़ रुपये के निर्माण कार्यों की स्वीकृति दे दी गयी जबकि नगर पालिका के खाते में महज साढ़े 4 करोड ही उस वक्त थे। उपलब्ध धनराशि से अधिक निर्माण कार्यों की निविदा जारी करने के मामले में दोषी पाया गया। यही नहीं ई-निविदा के प्रकाशन की तिथि कम से कम 21 दिन रखी जानी चाहिये लेकिन इसे महज 18 दिन होनी चाहिये। प्रस्तावित 60 कामों में से 44 कार्यों में तकनीकी स्वीकृति प्राप्त ही नहीं थी फिर भी निविदा आमंत्रित कर ली गयी।










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