पूर्व अमेरिकी रक्षा मंत्री का बड़ा बयान, भारत के रणनीतिक को लेकर कही ये बात

डीएन ब्यूरो

पूर्व अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने कहा है कि अमेरिका को रूस से संबंधों को लेकर भारत के साथ रणनीतिक संयम दिखाने की आवश्यकता है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

पूर्व अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस (फाइल फोटो)
पूर्व अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस (फाइल फोटो)


वाशिंगटन: पूर्व अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने कहा है कि अमेरिका को रूस से संबंधों को लेकर भारत के साथ रणनीतिक संयम दिखाने की आवश्यकता है।

मैटिस ने साथ ही कहा कि भारत यूक्रेन पर रूस के हमले का समर्थन नहीं करता है।

उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध बहुत काफी मजबूत हुए हैं।

मैटिस ने बुधवार को कहा, ‘‘हमें कुछ संयम दिखाने की जरूरत है। वे (भारतीय) सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।’’

मैटिस ने बुधवार को ‘कांग्रेशनल इंडिया कॉकस’ के सह-अध्यक्ष रो खन्ना द्वारा आयोजित भारत-अमेरिका शिखर सम्मेलन में यह बयान दिया।

उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखी है और भारत सरकार यूक्रेन पर रूसी हमले का समर्थन नहीं करती।

मैटिस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसे लेकर बहुत स्पष्ट रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करते रहना होगा।’’

मैटिस ने कहा कि भारत का रूस के निकट होना इस समय अमेरिका के लिए बुरा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत जो आखिरी चीज करना चाहता है...वह रूस और चीन को एक साथ लाना है।’’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद (क्वाड) के अपने सहयोगी देशों के विपरीत भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमले की अभी तक निंदा नहीं की है और वह रूसी आक्रमण को लेकर संयुक्त राष्ट्र मंचों पर मतदान से दूर रहा है। भारत यूक्रेन में हिंसा पर तत्काल रोक लगाने और कूटनीति एवं वार्ता के जरिए संकट का समाधान करने पर जोर देता रहा है।

मैटिस ने कहा कि भारत रूसी प्रभाव क्षेत्र से बाहर आ रहा है। उन्होंने कहा कि यह भारत को भाषण देने का समय नहीं है, बल्कि यह उसके साथ काम करने का अवसर है, जिसका पड़ोस जटिल है।

उन्होंने कहा कि एक ओर उसका एक कट्टरपंथी और परमाणु हथियार रखने वाला पड़ोसी देश पाकिस्तान है और दूसरी ओर, उसका एक पड़ोसी चीन है जो उसे डराने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने अमेरिकी प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिकों के बीच सहयोग को जारी रखने और उनके आवागमन में आने वाली बाधाओं को दूर करने की मांग की।










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