बड़ी खबर: नगर चौकी प्रभारी हुए सस्पेंड लेकिन दो साल से जमे विवादित कोतवाल रवि कुमार राय सिर्फ लाइन हाजिर?
महराजगंज जिले में पुलिस महकमे से एक बड़ी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर आ रही है। शहर के एक बेहद संगीन मामले में दो तरह की कार्यवाही हुई है, जिसके बाद कई तरह के सवाल खड़े होने शुरु हो गये हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
महराजगंज: पिछले 15 दिन से मंडल भर में महराजगंज जिले की एक संगीन खबर ने पुलिस महकमे का तापमान बढ़ा रखा है।
अब इस मामले में दो तरह की कार्यवाही से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
सुबह सवेरे खबर दी जाती है कि जनहित/प्रशानसिक हित में कोतवाल रवि कुमार राय और 13 सिपाहियों को लाइन हाजिर किया जाता है।
इसके तीन घंटे बाद यह खबर बतायी जाती है कि नगर चौकी प्रभारी प्रवीण सिंह व चार सिपाहियों अखिलेश चौधरी, प्रियंका सिंह आबिद अली और अखिलेश यादव को निलंबित कर दिया गया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक इसके बाद शहर भर में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि आखिर एक ही मामले में क्यों दो तरह की कार्यवाही की गयी? इसके अलावा दोनों एक्शन की अलग-अलग टाइमिंग को लेकर भी लोग सवाल पूछ रहे हैं?
क्या इस मामले में कोई है... जो... जिले के दागी कोतवाल रवि कुमार राय को अप्रत्यक्ष तौर पर संरक्षण देते हुए बचाना चाहता है?
क्या इसमें उच्च अफसर के हस्तक्षेप के बाद कार्यवाही की जा रही है?
दो साल में जिले के 20 थानों में से लगभग हर जगह के थानेदार कई-कई बार बदल दिये गये लेकिन क्या कारण था कि मुख्यमंत्री की नजर में दागी बने थानेदार को लगभग दो साल तक शहर कोतवाल जैसी सबसे अहम कुर्सी पर बैठाये रखा गया?
क्या नगर चौकी प्रभारी ने शहर के इस चर्चित संगीन मामले में सारा निर्णय अकेले लिया? क्या कोतवाल रवि राय की कोई भूमिका नहीं थी? यदि नहीं थी तो फिर वो थानेदारी किस बात की कर रहे थे?
शहर के लोग इस दो तरफा कार्यवाही को पचा नहीं पा रहे हैं? लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर कोतवाल की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही के बावजूद क्यों कोतवाल को सिर्फ लाइन हाजिर किया गया और बलि का बकरा चौकी इंचार्ज प्रवीण सिंह और इनके साथी सिपाहियों अखिलेश चौधरी, प्रियंका सिंह आबिद अली और अखिलेश यादव को बना निलंबित किया गया? महकमे में अंदरखाने जबरदस्त चर्चा है कि विवादित कोतवाल की मनमानी कार्यशैली की वजह से 13 सिपाहियों को लाइनहाजिर व चौकी इंचार्ज समेत पांच को निलंबित होना पड़ा। क्या बिना शहर कोतवाल की मर्जी के इस मामले में चौकी प्रभारी और सारे सिपाही अपने आप ही निर्णय कर रहे थे? यदि ऐसा नहीं है तो फिर कोतवाल का निलंबन क्यों नहीं हुआ? क्यों नहीं इस संगीन मामले में विभागीय जांच का आदेश अब तक दिया गया?
मुख्यमंत्री कर चुके हैं बेइज्जत
बात मार्च 2021 की है। इंस्पेक्टर रवि कुमार राय गुलरिहा के थानेदार थे। यहां हत्या के मामले में उन्होंने गजब का कांड कर डाला। इसकी पोल खुली मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में। बेलीपार थाना के चेरिया निवासी मीना देवी ने सीएम के पास पहुंच बताया कि उसके बेटे की हत्या के मामले में आरोपियों को रवि राय ने गिरफ्तार तक नहीं किया और उल्टे बचाने के लिए फाइनल रिपोर्ट लगा दी। यह सुन सीएम बहुत नाराज हुए। इसके बाद एसएसपी जोगेन्द्र कुमार को विस्तृत जांच के लिए कहा। फिर दो अपर पुलिस अधीक्षकों ने जांच में रवि राय को दोषी पाने के बाद फिर गोरखपुर में इसे लाइन हाजिर किया गया। सीएम के सामने जब इसकी पूरी पोल खुल गयी तब इसने बचने के लिए गोरखपुर से अपना तबादला महराजगंज करा लिया।
दो साल के कार्यकाल की SIT से जांच की मांग
शहर के तमाम लोग कोतवाल के दो साल के कार्यकाल की SIT से विस्तृत जांच की मांग कर रहे हैं। इनका कहना है कि जिन भी हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच कोतवाल ने की है और उनमें FR या चार्जशीट भेजी है, उनकी विस्तृत जांच SIT बनाकर की जाय तो उसमें मीना देवी के साथ हुए घनघोर अत्याचार जैसे कई मामलों का भंड़ाफोड़ होगा।
उच्च अफसरों को लड़ाने और गुमराह करने में माहिर है रवि राय
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डाइनामाइट न्यूज़ को चौंकाने वाली जानकारी मिली है। कोतवाल रवि कुमार राय गजब का घाघ है और महकमे का पुराना चावल। अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए कैसे जिले के अंदर और जिले के बाहर बड़े अफसरों को लड़ाना है... कोई इससे सिखे। सबसे पहले यह अपने निशाने पर लेता है महकमे के अनुभवहीन अफसरों को। फिर यह अपनी शातिर चालें चलता है। अंदर की खबर है कि इसने जिले के एक पुलिस अफसर को जोन के एक बड़े पुलिस अफसर से लड़ा दिया। यही नहीं जिले के अफसर को इसने इसी जिले के एक अन्य अफसर से लड़ा दिया। इन दोनों मामलों की महकमे के अंदर महराजगंज से लेकर गोरखपुर तक गजब की चर्चा है।
बड़े अफसरों को झूठी सूचनायें देने में माहिर
डाइनामाइट न्यूज़ को चौंकाने वाली जानकारी मिली है। पुलिसिया सूत्रों का कहना है कि दो साल के विवादित कार्यकाल के दौरान अधिकांश मामलों में यह अपनी सुविधा के हिसाब से जिले के बड़े अफसरों को रिपोर्ट देता था, इससे भी अधिक हैरानी की बात यह है कि ये अफसर इसके झांसे में आकर गोरखपुर और लखनऊ तक इसकी झूठी रिपोर्ट को सच मान अपनी मुहर लगाते जाते थे।
CJM ने दिया रवि राय के खिलाफ FIR का आदेश
साल 2021 में गोरखपुर जिले के गुलरिहा थाना क्षेत्र के सराय गुलरिहा गांव में हत्या के प्रयास से संबंधित एक मामले में CJM दीपक नाथ सरस्वती ने तत्कालीन थानेदार रवि राय के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया था।