बलिया: हिंदी बने रोजगार की भाषा, तभी होगा उत्थान

डीएन ब्यूरो

यूपी के बलिया में शनिवार को हिंदी दिवस का आयोजन किया गया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

हिंदी दिवस का आयोजन
हिंदी दिवस का आयोजन


बलिया:  जनपद में हिंदी प्रचारिणी सभा द्वारा शनिवार को टाउन हॉल के चलता पुस्तकालय में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान 21 हिंदी साहित्य सेवियों को स्मृति चिह्न एवं अंगवस्त्र देकर 'हिंदी भाषा गौरव सम्मान' से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर शिवजी पाण्डेय रसराज ने हिन्दी के विकास पर लिखित रचना को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित था। कार्यक्रम के पहले सत्र में 75 वर्ष से अधिक आयु के 21 हिंदी साहित्य सेवियों को स्मृति चिह्न एवं अंगवस्त्र देकर 'हिंदी भाषा गौरव सम्मान' से सम्मानित किया गया। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सम्मान पाने वालों में डॉ. जनार्दन राय, डॉ. रामबदन राय, डॉ. विश्राम यादव, डॉ. फतेहचंद बेचैन, डॉ. भोला प्रसाद आग्नेय, हैदर अली, अशोक जी, राधिका तिवारी, सुदेश्वर अनाम, आशुतोष सिंह आदि प्रमुख नाम रहे। युवाओं में लेखक अतुल राय, और रंगमंच कलाकार ट्विंकल गुप्ता को भी सम्मानित किया गया।

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हिंदी भाषा गौरव सम्मान पाते हुए साहित्य सेवी

इसके पश्चात् डॉ. श्रीपति यादव, डॉ. जैनेन्द्र पाण्डेय, अशोक, डॉ. गणेश पाठक ने अपने अपने उद्बोधन में हिन्दी के वर्तमान और भविष्य पर प्रकाश डाला। सबने एक स्वर में इस बात का समर्थन किया कि हिंदी हृदय की भाषा तो है, लेकिन इसे पेट की भी भाषा बनाना होगा, अर्थात् हिंदी का उत्थान और विकास तब तक संभव नहीं है जब तक उसे रोजगार से न जोड़ा जाय। विद्यालय और कॉलेज स्तर पर हिंदी के उत्थान के लिए अलग से प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। 

अच्छी प्रस्तुति के लिए सम्मानित होते बच्चे

संकल्प संस्था की ओर से इस अवसर पर प्रस्तुत रंग कविता ने सबका ध्यान आकर्षित किया। 

फ़ीनिक्स इण्टरनेशनल स्कूल, बलिया के कक्षा-बारहवीं के बच्चों ने अपनी रंग कविता और लघु नाटिका के माध्यम से उपस्थित लोगों को राजभाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिस्थापित करने के लिए दृढ़संकल्पित किया। नाटक में बच्चों ने वर्तमान समय में हिंदी के साथ हो रहे दुर्व्यवहार एवं हिंदी की अपेक्षा अंग्रेजी को अधिक महत्व देने पर व्यंग्यों के माध्यम से एक बेहतर संदेश दिया। 

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बच्चों ने बताया कि प्रत्येक भाषा को समान महत्व मिलना चाहिए। लेकिन हिंदी को मातृभाषा मानने वालों के लिए प्रारंभिक शिक्षा उनकी अपनी मातृभाषा हिंदी में ही होनी चाहिए। बच्चों की प्रस्तुति पर उपस्थित विद्वानों ने उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की।

द्वितीय सत्र में जनपद के प्रतिष्ठित कवियों के द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम का समापन रंग कविता और लघु नाटिका प्रस्तुत करने वाले बच्चों को सम्मानित करके किया गया। कार्यक्रम का संचालन आशीष और संयोजन डॉ. राजेन्द्र भारती, शिवजी पाण्डेय रसराज एवं मोहन श्रीवास्तव ने किया।










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