तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद दिग्विजय ने उठाए ईवीएम पर सवाल

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की हार के बाद मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 5 December 2023, 3:00 PM IST
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भोपाल: कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की हार के बाद मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने दावा किया कि चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने 2003 से ईवीएम द्वारा मतदान का विरोध किया है।

राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता ने सिंह के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि कांग्रेस को अपनी नीतियों की विफलता के कारण हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उसे ईवीएम को दोष देना सुविधाजनक लग रहा है।

भाजपा ने रविवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को करारी शिकस्त देकर हिंदी पट्टी में अपनी पकड़ मजबूत कर ली।

मध्य प्रदेश में, भाजपा को 230 विधानसभा सीटों में से 163 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 66 सीटें और भारत आदिवासी पार्टी को एक सीट मिली।

सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में सिंह ने कहा, ‘‘चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है। मैंने 2003 से ही ईवीएम द्वारा मतदान का विरोध किया है। क्या हम अपने भारतीय लोकतंत्र को पेशेवर हैकरों द्वारा नियंत्रित करने की अनुमति दे सकते हैं! यह मौलिक प्रश्न है जिसका समाधान सभी राजनीतिक दलों को करना होगा। माननीय ईसीआई और माननीय सर्वोच्च न्यायालय, क्या आप कृपया हमारे भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करेंगे?’’

प्रतिक्रिया के लिए ‘पीटीआई-भाषा’ के संपर्क करने पर, मध्य प्रदेश भाजपा सचिव रजनीश अग्रवाल ने दावा किया, 'कांग्रेस 'टुकड़े-टुकड़े' गिरोह के कम्युनिस्ट इको-सिस्टम के जाल में आ गई है।'

उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि ये हार कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा, उसकी नीतियों और उनके नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की विफलता का परिणाम है। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन वे इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं कर सकते, इसलिए ईवीएम को दोष देना उनके लिए सुविधाजनक है। वे कभी भी अपनी असफलताओं का आत्मनिरीक्षण नहीं करना चाहते हैं।’’

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