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भारत ने आईसीसी महिला विश्व कप 2025 के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। मैच के बाद मैदान पर भावुक दृश्य देखने को मिला, जहां दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी आंसू नहीं रोक पाईं, वहीं टीम इंडिया के खिलाड़ी ने उन्हें गले लगाया।
टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों को सांत्वना दी (Img: X)
Mumbai: आईसीसी महिला विश्व कप 2025 का फाइनल भारतीय टीम के लिए इतिहास बन गया। दक्षिण अफ्रीका पर 52 रनों से जीत दर्ज करने के बाद, मैदान पर भारतीय खिलाड़ी खुशी से झूम रहे थे, लेकिन दूसरी ओर साउथ अफ्रीकी खिलाड़ी फफक-फफक कर रो रही थीं। ऐसे में टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने सिर्फ जीत नहीं, बल्कि खेल भावना और सम्मान का संदेश भी पूरे विश्व को दिया।
कप्तान हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना और दीप्ति शर्मा सहित कई खिलाड़ी रोती हुई विरोधी टीम के पास गईं, उन्हें गले लगाया और उनके शानदार प्रदर्शन की सराहना की। यही पल साबित करता है कि क्रिकेट सिर्फ हार-जीत का खेल नहीं, बल्कि भावनाओं और इंसानियत का प्रतीक भी है।
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pic.twitter.com/PMhsqjtIG2— Suresh Depan (@Suresh_Depan08) November 3, 2025
भारतीय खिलाड़ियों ने न केवल प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों को गले लगाया बल्कि उनके शानदार प्रदर्शन की भी सराहना की। यह पल खेल भावना का एक सजीव उदाहरण था, जिसने साबित किया कि क्रिकेट सिर्फ जीत और हार का नहीं, बल्कि सम्मान, संवेदना और आपसी आदर का खेल है।
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भारतीय टीम ने पहली बार विश्व कप जीतने के बावजूद अपने जश्न को बेहद शालीनता से मनाया। खिलाड़ियों ने एक-दूसरे को बधाई दी, तिरंगा लहराया और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण बना दिया। इस जीत ने भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है, जिसे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी।
भारतीय महिला टीम इससे पहले 2005 और 2017 में दो बार विश्व कप फाइनल में पहुंची थी, लेकिन दोनों बार खिताब से चूक गई। इस बार टीम इंडिया ने कोई गलती नहीं दोहराई और अपने वर्षों पुराने सपने को साकार किया।
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इस जीत के नायकों में दीप्ति शर्मा का ऑलराउंड प्रदर्शन, शेफाली वर्मा की विस्फोटक बल्लेबाज़ी, और अमनजोत कौर की शानदार फ़ील्डिंग शामिल रही। हर खिलाड़ी ने अपनी भूमिका पूरी निष्ठा से निभाई, जिससे यह जीत संभव हो सकी।
भारत की यह जीत सिर्फ़ एक ट्रॉफी तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह संघर्ष, समर्पण और खेल की सच्ची भावना की कहानी थी। मैदान पर भारतीय खिलाड़ियों का व्यवहार यह दर्शाता है कि सच्चे चैंपियन वही होते हैं जो अपनी सफलता में भी विनम्रता बनाए रखते हैं।