

एशिया कप ट्रॉफी विवाद तेज होता जा रहा है। बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने एसीसी अध्यक्ष मोहसिन नकवी से कड़े सवाल किए। जिसके बाद ये खबर थी कि नकवी ने माफी के मांगा है, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया है।
मोहसिन नकवी (Img: Internet)
Dhaka: एशिया कप 2025 की ट्रॉफी को लेकर चल रहे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। हाल ही में एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) की एक बैठक में बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने एसीसी अध्यक्ष और पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी से कड़े सवाल पूछे। इस बैठक के बाद मीडिया में यह खबर आई कि नकवी ने बीसीसीआई से माफी मांगी है और ट्रॉफी जल्द ही भारत को सौंपी जाएगी। लेकिन नकवी ने इन खबरों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
मोहसिन नकवी ने हाल ही में अपने ट्विटर पोस्ट के माध्यम से स्पष्ट किया कि भारतीय मीडिया की रिपोर्ट्स झूठ और दुष्प्रचार पर आधारित हैं। उन्होंने कहा, "मैंने न तो कभी बीसीसीआई से माफी मांगी है और न ही कभी मांगूंगा। ये अफवाहें केवल हमारे लोगों को गुमराह करने के लिए फैलायी जा रही हैं।"
मोहसिन नकवी (Img: Internet)
मोहसिन नकवी ने यह भी आरोप लगाया कि भारत लगातार क्रिकेट में राजनीति को घुसाने की कोशिश कर रहा है, जिससे खेल भावना को गंभीर नुकसान पहुंचा है। नकवी ने आगे कहा कि वह एसीसी के अध्यक्ष के तौर पर ट्रॉफी देने के लिए तैयार हैं और यदि भारत इसे लेना चाहता है तो वे एसीसी कार्यालय आकर ट्रॉफी ले सकते हैं। उनका यह बयान क्रिकेट जगत में विवाद को और बढ़ा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, एसीसी की बैठक में ट्रॉफी विवाद को लेकर काफी गरमागरम बहस हुई। नकवी ने फाइनल मैच के बाद भारतीय खिलाड़ियों पर अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया। वहीं, भारत के प्रतिनिधि राजीव शुक्ला ने स्पष्ट किया कि एशिया कप ट्रॉफी एसीसी की संपत्ति है और इसका कोई व्यक्तिगत अधिकार किसी एक व्यक्ति या देश को नहीं है।
राजीव शुक्ला ने यह भी कहा कि टीम इंडिया ने एशिया कप 2025 जीता है और ट्रॉफी का अधिकार उन्हें ही है। इसलिए नकवी का ट्रॉफी लेकर चले जाना उचित नहीं था। यह मुद्दा केवल ट्रॉफी का नहीं, बल्कि क्रिकेट के सम्मान और खेल भावना का है।
हालांकि विवाद जारी है, लेकिन क्रिकेट प्रेमी उम्मीद कर रहे हैं कि दोनों पक्ष जल्द ही सौहार्दपूर्ण समाधान निकालेंगे। ट्रॉफी का सही समय पर भारत को सौंपा जाना आवश्यक है ताकि खेल की गरिमा बनी रहे और भविष्य में ऐसे विवाद न हों।
इस विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि क्रिकेट केवल खेल नहीं बल्कि कई बार राजनीतिक तनाव और व्यक्तिगत मतभेदों का भी मैदान बन जाता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि एसीसी, बीसीसीआई और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं।