

महेंद्र सिंह धोनी को ‘कैप्टन कूल’ के नाम से जाना जाता है, वो आज 44वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके क्रिकेट सफर, नेतृत्व और अनोखी कहानियों ने उन्हें हर दिल का हीरो बनाया। जानिए माही की अनसुनी कहानियां
महेंद्र सिंह धोनी (सोर्स-गूगल)
New Delhi: आज की तारीख, 7 जुलाई, वो तारीख है जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखी गई है, क्योंकि इसी दिन 1981 में रांची में जन्म हुआ एक ऐसे शख्स का, जिसने क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। जी हां, हम बात कर रहे हैं महेंद्र सिंह धोनी की, जिन्हें दुनिया 'कैप्टन कूल' के नाम से जानती है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, आज धोनी अपना 44वां जन्मदिन मना रहे हैं और इस खास मौके पर हम आपको उनके जीवन की ऐसी अनसुनी कहानियां बताने जा रहे हैं, जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुनी होंगी। धोनी का सफर किसी प्रेरणादायक फिल्म से कम नहीं, जिसमें मेहनत, जुनून और असाधारण प्रतिभा की कहानी छिपी है।
फुटबॉल से क्रिकेट तक का सफर
क्या आप जानते हैं कि धोनी का पहला प्यार क्रिकेट नहीं, बल्कि फुटबॉल था? स्कूल के दिनों में वह अपनी फुटबॉल टीम के शानदार गोलकीपर थे। लेकिन एक दिन उनके स्पोर्ट्स टीचर ने उन्हें क्रिकेट टीम के लिए विकेटकीपर की भूमिका निभाने को कहा। बस, यहीं से शुरू हुआ वह सफर, जो 2007 टी20 वर्ल्ड कप, 2011 वनडे वर्ल्ड कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी तक पहुंचा।
सचिन के दीवाने थे माही
धोनी हमेशा कहते हैं कि सचिन तेंदुलकर उनके पहले क्रिकेट गुरु थे। बचपन में वह सचिन का पोस्टर खरीदकर अपनी दीवार पर लगाते थे। जब सचिन विदेशी दौरों पर खेलते थे, धोनी सुबह जल्दी उठकर टीवी पर उनकी बल्लेबाजी देखते। अगर सचिन आउट हो जाते, तो माही निराश होकर टीवी बंद कर सो जाते थे। उनका सपना था सचिन की तरह लंबे-लंबे छक्के मारना।
टीटी से विश्व विजेता तक
क्रिकेट में कदम रखने से पहले धोनी ने रेलवे में टिकट कलेक्टर (टीटी) की नौकरी की थी। लेकिन कुछ बड़ा करने की उनकी जिद ने उन्हें यह नौकरी छोड़ने के लिए प्रेरित किया। और फिर, उन्होंने भारतीय क्रिकेट को नई दिशा दी और एक ऐसे कप्तान बने, जिन्हें दुनिया सलाम करती है।
लंबे बालों ने बटोरी सुर्खियां
दरअसल, 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में धोनी रन आउट हो गए थे, लेकिन उनके लंबे बाल और आक्रामक बल्लेबाजी ने सबका ध्यान खींचा। यहां तक कि तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भी उनके लुक और स्टाइल की तारीफ की थी।
बाइक के दीवाने धोनी
धोनी को बाइक का जुनून बचपन से था। अपनी पहली इंटर्नशिप की कमाई से उन्होंने सेकंड-हैंड बाइक खरीदी थी। आज उनके पास 50 से ज्यादा बाइक का कलेक्शन है और रांची में उनका एक बाइक म्यूजियम भी है। खाली समय में वह खुद अपनी बाइक्स की देखभाल करते हैं।
'कैप्टन कूल' की शांत मिजाजी
मैच के सबसे तनावपूर्ण पलों में भी धोनी का शांत रहना उनकी पहचान है। आखिरी ओवर में जब पूरी टीम दबाव में होती थी, धोनी स्टंप्स के पीछे से शांत मन से रणनीति बनाते और जीत छीन लाते। यही वजह है कि उन्हें 'कैप्टन कूल' कहा जाता है।
टीम पहले, खुद बाद में
2011 वर्ल्ड कप जीत के बाद जब पूरी टीम ट्रॉफी के साथ सेल्फी ले रही थी, धोनी खामोशी से पीछे खड़े थे। उनके लिए हमेशा टीम की जीत खुद की शोहरत से ज्यादा मायने रखती थी।
साइकिल से स्टेडियम पहुंचे माही
रांची में एक बार ट्रैफिक जाम की वजह से धोनी अपनी कार या बाइक से स्टेडियम नहीं पहुंच पाए। फिर क्या, उन्होंने पास से एक साइकिल उधार ली और पेडल मारते हुए नेट प्रैक्टिस के लिए पहुंच गए। यह उनकी सादगी की मिसाल है।
मां की चिंता, माही का प्यार
धोनी की मां उनकी सबसे बड़ी प्रशंसक थीं, लेकिन वह उनके मैच नहीं देखती थीं। उन्हें डर रहता था कि कहीं उनका बेटा आउट न हो जाए। धोनी का परिवार भी टीवी के सामने घबराकर बैठा रहता था।
कप्तानी छोड़ सबको चौंकाया
जब धोनी ने वनडे और टी-20 की कप्तानी छोड़ी थी, तो उनके इस फैसले ने सभी को चौंका दिया था। लेकिन उन्होंने हमेशा युवा खिलाड़ियों का मार्गदर्शन किया और टीम के लिए उपलब्ध रहे। आज भी वह अपनी सलाह और अनुभव से भारतीय क्रिकेट को मजबूती देते हैं।
धोनी का यह सफर न केवल क्रिकेट प्रेमियों के लिए बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो सपने देखता है और उन्हें पूरा करने का साहस रखता है। उनके 44वें जन्मदिन पर आइए, उनके इस शानदार सफर को सलाम करें और उनके लंबे, स्वस्थ जीवन की कामना करें। हैप्पी बर्थडे, कैप्टन कूल!