

भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर दिव्या देशमुख ने जॉर्जिया के बटुमी में आयोजित FIDE महिला विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया। 19 वर्षीय दिव्या ने फाइनल में अनुभवी खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को टाई-ब्रेकर में हराया। उनके पूर्व कोच श्रीनाथ नारायणन ने दिव्या की तुलना महेंद्र सिंह धोनी से करते हुए कहा कि वह कठिन परिस्थितियों में भी शांत और संतुलित रहती हैं।
धोनी की तरह शांत रहती हैं दिव्या (सोर्स- सोशल मीडिया)
New Delhi: भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर और विश्व कप विजेता दिव्या देशमुख ने भारतीय शतरंज को एक नया मुकाम हासिल किया है। महज 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने FIDE महिला विश्व कप जीतकर दुनिया को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इस बड़ी उपलब्धि के बाद वह भारतीय शतरंज में नई उम्मीद बनकर उभरी हैं। इतना ही नहीं उनके कोच ने उनकी तारीफ करते हुए उनकी तुलना महेंद्र सिंह धोनी से की है।
दिव्या ने यह खिताब जॉर्जिया के बटुमी में आयोजित टूर्नामेंट में जीता, जहां फाइनल में उनका सामना दिग्गज भारतीय खिलाड़ी कोनेरू हम्पी से हुआ। हम्पी 38 वर्ष की अनुभवी और विश्व स्तर की शतरंज खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने करियर में दो विश्व रैपिड चैंपियनशिप, एशियाई खेलों के दो स्वर्ण और ओलंपियाड गोल्ड मेडल जैसे कई खिताब अपने नाम किए हैं। टाई-ब्रेकर में दिव्या ने हम्पी को हराकर न सिर्फ खिताब जीता, बल्कि यह दिखा दिया कि वह बड़ी चुनौतियों से घबराती नहीं हैं।
दिव्या के पूर्व कोच श्रीनाथ नारायणन ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि दिव्या में मुश्किल हालात में भी शांत और संतुलित रहने की क्षमता है। उन्होंने दिव्या की तुलना महेंद्र सिंह धोनी से की, जो अंतिम ओवरों में भी मैच का रुख बदलने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा, "दिव्या बेहद आक्रामक खिलाड़ी हैं, लेकिन समय के साथ उन्होंने हर प्रारूप क्लासिकल, रैपिड और ब्लिट्ज में अपनी पकड़ मजबूत की है। दबाव में वह और बेहतर प्रदर्शन करती हैं।"
The coach of Divya Deshmukh, who won Women's Chess World Cup said,
"Her strength is, I think, turning up in those big moments, crunch situations. Like how MS Dhoni used to win the matches in the last over. I saw something similar in Divya in those last-round situations" pic.twitter.com/nkfJXFuKJM
— ` (@WorshipDhoni) July 28, 2025
दिव्या देशमुख भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बनी हैं। हालांकि टूर्नामेंट शुरू होने से पहले यह लक्ष्य दूर लगता था, लेकिन उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए इसे हासिल किया। वह अब उन कुछ खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन्होंने इतनी कम उम्र में यह उपलब्धि पाई है।
श्रीनाथ ने दिव्या को 2020 तक कोचिंग दी। उन्होंने 2016 में तुर्की में हुए वर्ल्ड अंडर-16 ओलंपियाड में पहली बार एयरपोर्ट पर दिव्या से मुलाकात की थी। उन्होंने बताया, "पहली ही नज़र में दिव्या की प्रतिभा साफ़ झलक रही थी। 2018 में जब मैंने उन्हें ट्रेन करना शुरू किया, तो उन्होंने ईरान के खिलाफ एक निर्णायक मैच में जीत दर्ज की। तभी मुझे एहसास हुआ कि उनमें बड़े टूर्नामेंट जीतने की खास क्षमता है।"
श्रीनाथ का मानना है कि दिव्या में विश्व चैंपियन बनने की पूरी संभावना है। उनके खेल में जो संतुलन, आक्रामकता और धैर्य है, वह उन्हें एक दिन दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बना सकता है। दिव्या देशमुख की यह जीत न सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारतीय शतरंज की नई पीढ़ी की ताकत का भी प्रतीक है।