मानसून बना हिमाचल के लिए आफत: 17 दिनों में 80 मौतें, करोड़ों की संपत्ति का नुकसान

हिमाचल प्रदेश इस समय प्राकृतिक आपदा के विकराल संकट से जूझ रहा है। जहां एक ओर मानव जीवन का बड़ा नुकसान हुआ है, वहीं दूसरी ओर आर्थिक ढांचे को भी तगड़ा झटका लगा है। आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं, इसलिए सतर्कता और सहयोग ही एकमात्र उपाय है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 7 July 2025, 8:43 PM IST
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Shimla News: हिमाचल प्रदेश में मानसून की शुरुआत के साथ ही भारी बारिश, बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने तबाही मचा दी है। राज्य में 20 जून से लेकर 6 जुलाई तक की अवधि में कम से कम 80 लोगों की मौत हो चुकी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियां राहत व बचाव कार्यों में जुटी हैं, लेकिन हालात अभी भी गंभीर बने हुए हैं।

एसडीएमए रिपोर्ट में खुलासा

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक हिमाचल में 23 बार बाढ़, 19 बार बादल फटना और 16 बार भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं। ये आपदाएं राज्य के लगभग हर जिले को प्रभावित कर चुकी हैं, जिससे जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

50 मौतें प्राकृतिक आपदाओं से, सड़क हादसों में 28

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 78 मौतों में से 50 मौतें सीधे तौर पर बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से हुईं। इनमें से 14 लोग बाढ़ में बह गए, 8 की मौत डूबने से हुई, जबकि 8 लोग करंट या फिसलने जैसी दुर्घटनाओं में मारे गए। इसके अलावा, 28 लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में गई है।

मंडी में सबसे ज्यादा मौतें

जिला वार बात करें तो, मंडी में सबसे अधिक 17 मौतें हुईं हैं। इसके बाद कांगड़ा में 11, चंबा, कुल्लू और शिमला में तीन-तीन मौतें दर्ज की गई हैं। यह दर्शाता है कि लगभग पूरा राज्य इस प्राकृतिक कहर की चपेट में है।

सड़कें बंद, बिजली-पानी व्यवस्था ठप

भूस्खलन और लगातार बारिश से 269 सड़कें बंद, 285 बिजली ट्रांसफार्मर प्रभावित, और 278 जलापूर्ति योजनाएं ठप हो चुकी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कई गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है। लोग खाद्य सामग्री और दवाइयों के लिए तरस रहे हैं।

अब तक 57 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान

एसडीएमए के अनुसार, अभी तक की गणना में 57 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ है। इस आंकड़े में सार्वजनिक संपत्ति, निजी घर, वाहन, खेती और अन्य आधारभूत संरचनाओं का नुकसान शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।

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