

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव 2025 के नतीजों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अपना वर्चस्व फिर से साबित किया है। एबीवीपी ने इस बार अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद पर शानदार जीत दर्ज की है। वहीं, उपाध्यक्ष पद पर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) ने बाजी मारी है।
अध्यक्ष पद पर ABVP के आर्यन मान की जीत
New Delhi: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव 2025 के नतीजों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अपना वर्चस्व फिर से साबित किया है। एबीवीपी ने इस बार अध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद पर शानदार जीत दर्ज की है। वहीं, उपाध्यक्ष पद पर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) ने बाजी मारी है।
एबीवीपी के आर्यन मान ने डूसू ((DUSU) अध्यक्ष पद पर NSUI की प्रत्याशी जोसलिन नंदिता चौधरी को करारी शिकस्त दी है। आर्यन मान को कुल 24,476 वोट मिले जबकि जोसलिन को केवल 10,814 वोटों से संतोष करना पड़ा। आर्यन ने करीब 13,662 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।
DN Exclusive: सपा या बीजेपी, किसकी देन है लखनऊ मेट्रो? यहां देखें पूरी रिपोर्ट
उपाध्यक्ष पद की बात करें तो NSUI को यहां सफलता मिली है। राहुल झांसला ने ABVP के गोविंद तंवर को हराकर उपाध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया। राहुल को 23,744 वोट मिले, जबकि गोविंद को 17,847 वोट प्राप्त हुए। राहुल ने 5,897 वोटों से जीत हासिल की।
एबीवीपी के कुणाल चौधरी ने सचिव पद पर NSUI के कबीर को हराकर जीत दर्ज की। कुणाल को 20,554 वोट मिले, जबकि कबीर को 13,561 वोट प्राप्त हुए। इसी तरह संयुक्त सचिव पद पर भी एबीवीपी की दीपिका झा ने जीत दर्ज की। दीपिका को 18,500 वोट, जबकि एनएसयूआई के लवकुश भड़ाना को 15,135 वोट मिले।
जहां एक ओर एबीवीपी की जीत का जश्न मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर वोटिंग प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। डूसू के मौजूदा अध्यक्ष रौनक खत्री ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव में "वोट चोरी" हुई है। रौनक ने आरोप लगाया कि कुछ प्रोफेसर ABVP के पैनल कोड अपने स्टेटस पर डाल रहे थे और EVM मशीन पर बैलेट नंबर-3 के आगे अंगूठे का निशान मौजूद था।
Bihar Politics: RJD की यात्रा में तेजस्वी की कुर्सी पर कौन बैठा? चमके ये दो दलित नेता
हालांकि एबीवीपी की जीत से उसके कार्यकर्ताओं में उत्साह है, लेकिन रौनक खत्री के इन आरोपों ने चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देता है। डूसू चुनाव 2025 में एक बार फिर एबीवीपी ने अपना दबदबा कायम रखा है, लेकिन चुनावी प्रक्रिया पर उठते सवाल इस जीत की पारदर्शिता पर छाया जरूर डाल रहे हैं।