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राजस्थान में अफसर का भ्रष्टाचार मॉडल: फर्जी नौकरी से 5 साल तक उठाए 37 लाख वेतन, पढ़ें सनसनीखेज खबर

राजस्थान की राजधानी जयपुर से भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग (DOIT) के संयुक्त निदेशक प्रद्युम्न दीक्षित ने फर्जी नौकरी के जरिये पांच साल तक 37 लाख वेतन का लाभ उठाया।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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राजस्थान में अफसर का भ्रष्टाचार मॉडल: फर्जी नौकरी से 5 साल तक उठाए 37 लाख वेतन, पढ़ें सनसनीखेज खबर

Jaipur: राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक ऐसा भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है जिसने सरकारी सिस्टम की सच्चाई उजागर कर दी। सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग (DOIT) के संयुक्त निदेशक प्रद्युम्न दीक्षित पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी पूनम दीक्षित उर्फ पूनम पांडे को फर्जी नौकरी दिलाकर पांच साल तक बिना ड्यूटी किए वेतन दिलाया।

बिना नौकरी पा रही थी वेतन

जांच में सामने आया कि पूनम दीक्षित को न केवल एक, बल्कि दो कंपनियों- ऑरियन प्रो सॉल्यूशंस लिमिटेड (AurionPro Solutions Ltd) और ट्रिजेंट सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड (Trigent Software Pvt. Ltd) में नौकरी दिखाई गई थी। आश्चर्य की बात यह रही कि पूनम दीक्षित एक भी दिन नौकरी पर नहीं गईं, फिर भी उन्हें हर महीने 1.60 रुपये लाख का वेतन मिलता रहा।

भ्रष्टाचार की ‘डिजिटल कहानी’

दरअसल, एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) को इस घोटाले की शिकायत मिली थी। जब जांच शुरू हुई तो हैरान करने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि पूनम दीक्षित के वेतन बिलों पर हर महीने हस्ताक्षर खुद उनके पति प्रद्युम्न दीक्षित ही करते थे। जनवरी 2019 से सितंबर 2020 तक उनके पांच बैंक खातों में 37,54,405 रुपये की राशि जमा कराई गई।

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इस मामले में प्रद्युम्न दीक्षित के अलावा विभाग के उपनिदेशक राकेश कुमार पर भी संलिप्तता के आरोप लगे हैं। जांच में यह भी सामने आया कि प्रद्युम्न दीक्षित ने एक निजी कंपनी ऑरियन प्रो सॉल्यूशंस को सरकारी ठेकों में अनुचित लाभ पहुंचाया था। इसी कंपनी में बाद में उनकी पत्नी को फर्जी तरीके से नियुक्ति दिलाई गई।

हाईकोर्ट और एसीबी की कार्रवाई

इस मामले में एक शिकायत राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका के रूप में दर्ज हुई थी। हाईकोर्ट ने सितंबर 2024 में एसीबी को मुकदमा दर्ज करने और विस्तृत जांच के निर्देश दिए। कोर्ट के आदेश पर एसीबी ने 3 जुलाई 2025 को परिवाद दर्ज किया और इसके बाद कंपनियों एवं बैंक खातों की जांच की गई।

जांच में सबूत मिलने के बाद 17 अक्टूबर 2025 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई। एसीबी ने अब इस पूरे भ्रष्टाचार नेटवर्क की तहकीकात शुरू कर दी है।

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एसीबी की प्रारंभिक रिपोर्ट

एसीबी अधिकारियों के अनुसार, जांच में यह साफ हुआ है कि पूनम दीक्षित की नियुक्ति केवल दस्तावेजों में दिखाई गई थी। उन्होंने किसी कंपनी में वास्तविक रूप से काम नहीं किया। वहीं, अफसर प्रद्युम्न दीक्षित अपने पद का दुरुपयोग करते हुए न केवल फर्जी नियुक्तियां करवा रहे थे, बल्कि स्वयं बिलों पर हस्ताक्षर कर भुगतान भी सुनिश्चित करते थे।

आगे की कार्रवाई

अब एसीबी प्रद्युम्न दीक्षित, उनकी पत्नी पूनम दीक्षित और संबंधित कंपनी अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि बैंक खातों, लेन-देन और फर्जी दस्तावेजों की तकनीकी जांच चल रही है।

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