

वाराणसी में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता अरविंद राजभर ने 2027 चुनाव को लेकर सुभासपा की रणनीति स्पष्ट की। उन्होंने 28 सीटों पर चुनाव लड़ने का संकेत दिया और वाराणसी की दो विधानसभा सीटों पर दावा ठोका। साथ ही पुलिस-वकील विवाद पर भी हमला बोला।
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Varanasi: वाराणसी में रविवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) की एक बड़ी जनसभा का आयोजन किया गया, जिसमें पार्टी के प्रमुख नेता और रणनीतिकार डॉ. अरविंद राजभर ने आगामी 2027 विधानसभा चुनावों को लेकर कई अहम घोषणाएं कीं। सुभासपा नेता ने जहां आगामी चुनाव में सीटों की संख्या को लेकर खुलासा किया, वहीं पुलिस-वकील विवाद, अधिकारियों की भूमिका और विपक्षी दलों पर भी बेबाक बयान दिए।
जनसभा के बाद एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में डॉ. अरविंद राजभर ने कहा कि जब भी हम गठबंधन में चुनाव लड़े हैं, हमारा प्रयास रहा है कि हम बढ़ते क्रम में आगे बढ़ें। यह प्रकृति का नियम भी है और राजनीति का भी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में सुभासपा ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि 2022 में यह संख्या बढ़कर 18 हो गई। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 2027 में 28 सीटों पर चुनाव लड़ने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी का विस्तार स्वाभाविक प्रक्रिया है और उत्तर प्रदेश में सुभासपा की जमीनी पकड़ दिन-ब-दिन मजबूत हो रही है।
अरविंद राजभर!
राजभर ने स्पष्ट रूप से कहा कि सुभासपा वाराणसी की दो विधानसभा सीटों पर जरूर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि हमारे पास पहले एक सीट थी, अब हम दो पर लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। वाराणसी हमारी राजनीतिक प्राथमिकताओं में है और हम इसे हल्के में नहीं ले रहे।
हाल ही में वाराणसी में पुलिस और वकीलों के बीच चल रहे विवाद को लेकर राजभर ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि यह नया नहीं है। पुलिस और वकील लंबे समय से एक-दूसरे के परंपरागत विरोधी रहे हैं, और न्यायालय परिसर में यह तनाव अकसर देखा जाता है। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो योगी आदित्यनाथ की सरकार को बदनाम करने में लगे हुए हैं। ऐसे अधिकारी न तो अपनी नौकरी की परवाह करते हैं, न जनहित की। उन्हें सिर्फ माहौल बिगाड़ने की चिंता है। वे विपक्ष की मंशा के मुताबिक काम कर रहे हैं और जानबूझकर सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं।
गाजीपुर में सुभासपा कार्यकर्ता को महिला पुलिसकर्मी द्वारा थप्पड़ मारे जाने की घटना पर बोलते हुए अरविंद राजभर ने कहा कि यह घटना गलतफहमी और ‘कन्फ्यूजन’ का नतीजा थी। हमने दोनों पक्षों से बात की है और स्थिति को सामान्य करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी अनुशासन और कानून व्यवस्था में विश्वास रखती है, लेकिन जब कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय होगा, तो पार्टी चुप नहीं बैठेगी।
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सुभासपा नेता ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें पहले इतिहास पढ़ना चाहिए। उनके आसपास के लोग उन्हें भ्रमित कर रहे हैं। वे जानबूझकर ऐसे बयान दिलवा रहे हैं जो उन्हें उनके एजेंडे से भटका देते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अखिलेश यादव विपक्ष के एक अच्छे और मजबूत नेता हैं और उनकी भूमिका को खारिज नहीं किया जा सकता।