नेपाल में सत्ता परिवर्तन: सुशीला कार्की बनीं अंतरिम प्रधानमंत्री, जानें क्यों बनीं Gen-Z की पसंद?

नेपाल में केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद राजनीतिक संकट के बीच सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। पूर्व चीफ जस्टिस कार्की को सभी दलों और संस्थाओं का समर्थन मिला है, खासकर सेना और राष्ट्रपति का भरोसा।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 12 September 2025, 12:02 PM IST
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Kathmandu: नेपाल की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आया है। केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद देश में अस्थिरता का माहौल था, लेकिन अब पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है। 74 वर्षीय कार्की अब उस कठिन दौर में देश का नेतृत्व करेंगी जब नेपाल चुनाव की ओर बढ़ रहा है और सिस्टम में सुधार की सख्त जरूरत है।

शपथ से पहले हुई उच्चस्तरीय मंत्रणा

शपथ ग्रहण से पहले सुशीला कार्की ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना प्रमुख अशोर राज से विस्तार से मंत्रणा की। सूत्रों के मुताबिक, इस बातचीत का मकसद यह सुनिश्चित करना था कि अंतरिम सरकार का कार्यकाल स्थिर रहे और कोई संवैधानिक संकट न खड़ा हो।

सुशीला कार्की बनीं अंतरिम प्रधानमंत्री

क्यों बनीं सुशीला कार्की सर्वसम्मति की पसंद?

नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर कई नामों की चर्चा थी, जिनमें कुलमान घिसिंग, बालेन साह और दुर्गा प्रसाई शामिल थे। लेकिन आखिरकार बाजी सुशीला कार्की ने मारी। इसके पीछे कई ठोस कारण हैं...

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1. संविधान और सिस्टम की गहरी समझ

सुशीला कार्की नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकी हैं। कानून, संविधान और सिस्टम की बारीक समझ के चलते वह इस पद के लिए सबसे उपयुक्त मानी गईं। उनके नेतृत्व में न्यायपालिका में कई बड़े फैसले और भ्रष्टाचार विरोधी टिप्पणियां हुईं।

2. भारत से बेहतर रिश्ते

कार्की ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है और भारत के साथ उनके संबंध मधुर रहे हैं। अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर उनका नाम सामने आने पर उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर धन्यवाद ज्ञापित किया। यह स्पष्ट करता है कि भारत-नेपाल संबंधों को लेकर उनका नजरिया सकारात्मक है।

3. राजनीतिक निष्पक्षता

उनके मुकाबले अन्य नामों जैसे कुलमान घिसिंग और बालेन साह की किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से दुश्मनी रही है। उदाहरण के लिए, घिसिंग की ओली से, जबकि बालेन की नेपाली कांग्रेस से टकराव की पृष्ठभूमि रही है। कार्की का क्लीन और न्यूट्रल इमेज उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी।

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4. संवैधानिक संतुलन का कदम

नेपाल के संविधान में "अंतरिम प्रधानमंत्री" जैसे किसी पद का जिक्र नहीं है। ऐसे में यह निर्णय संवैधानिक संकट खड़ा कर सकता था। राष्ट्रपति ने इस खतरे को भांपते हुए एक पूर्व चीफ जस्टिस को नियुक्त करके सुप्रीम कोर्ट से टकराव की संभावना को कम कर दिया।

क्यों पसंद कर रही है Gen-Z?

Gen-Z युवाओं में कार्की को लेकर काफी उत्साह है। उनके साफ-सुथरे ट्रैक रिकॉर्ड, न्यायिक समझ और डिजिटल मीडिया पर वायरल हो रही उनकी "नो-नॉनसेंस" छवि युवाओं को आकर्षित कर रही है। Gen-Z को एक ऐसा नेता चाहिए जो सिस्टम को समझे, सुधार की बात करे और पारदर्शिता लाए और कार्की इन मानकों पर खरी उतरती हैं।

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