

बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और सवाल है कि क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे। चुनाव में सत्ता की गद्दी किसकी होगी, इस पर राजनीतिक माहौल गर्म है। मतदाता फैसले से तय होगा बिहार का भविष्य और किसकी होगी जीत।
बिहार चुनाव को लेकर तैयारी तेज
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी तेज हो चुकी है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। एनडीए, महागठबंधन और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी।
इस बार के चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 7 करोड़ 42 लाख है। हालांकि, इससे पहले ड्राफ्ट मतदाता सूची में करीब 3 लाख 66 हजार मतदाताओं को हटाया गया था, जबकि 21 लाख 53 हजार नए मतदाता जोड़े गए हैं। इससे कुल मतदाताओं की संख्या पहले के 7 करोड़ 89 लाख के मुकाबले 47 लाख कम हो गई है। चुनाव आयोग के अनुसार, हटाए गए मतदाता या तो अब जीवित नहीं हैं या उन्होंने दूसरी जगह स्थायी निवास किया है। इस बार बिहार की राजनीति में एक बड़ा सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री पद पर लौटेंगे?
हालांकि, पिछले चुनावों में उनकी पार्टी को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस बार भी उनकी सरकार की उपलब्धियों और विपक्ष के दावों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। चुनाव में प्रमुख मुद्दों में विकास, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, और सामाजिक न्याय शामिल हैं।
नीतीश कुमार
नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के सबसे प्रमुख चेहरे हैं। उनका चुनावी अनुभव और कार्यकाल ने उन्हें जनता के बीच एक खास जगह दिलाई है। पिछले कई वर्षों में उन्होंने कई बार बिहार की कमान संभाली है। इस बार सवाल उठ रहा है कि क्या जनता उन्हें दोबारा अपना नेतृत्व सौंपेगी या कोई नया नेतृत्व उभरेगा।
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नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री 2005 में बने थे। तब से लेकर अब तक उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री पद संभाला है। उनका राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है, लेकिन वे लगातार बिहार की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने राज्य के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता बढ़ी है।
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नीतीश कुमार की पार्टी ने कई बार गठबंधन भी बदले हैं, जिससे बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। उनका चुनावी सफर राजनीतिक समझदारी और रणनीति का उदाहरण माना जाता है।
बिहार चुनाव 2025 में जनता की नजरें मुख्य रूप से विकास योजनाओं और राजनीतिक स्थिरता पर टिकी हैं। 7 करोड़ से अधिक मतदाता इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और तय करेंगे कि क्या नीतीश कुमार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर कोई नया नेतृत्व उभरेगा। चुनावी माहौल में जनता के फैसले से बिहार का भविष्य तय होगा।
क्या नीतीश कुमार की वापसी होगी या कोई नई राजनीति की धारा राज्य की सत्ता में आएगी, यह देखने वाली बात होगी। इस चुनाव के नतीजे बिहार की राजनीति के भविष्य को तय करेंगे।
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