सुपरफूड या सिर्फ ट्रेंड? काला लहसुन क्यों बन रहा चर्चा का विषय
काला लहसुन सफेद लहसुन से अलग है और फर्मेंटेशन से एंटीऑक्सीडेंट गुण बढ़ता है। यह हृदय, लीवर और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। लेकिन पेट संवेदनशील या पतला खून वालों को इसे सीमित करना चाहिए।
काला लहसुन सामान्य सफेद लहसुन का विशेष रूप है, जिसे लंबे समय तक नियंत्रित गर्मी और नमी में रखा जाता है। इस प्रक्रिया से लहसुन के कलर, स्वाद और पोषक तत्व बदल जाते हैं। यह चिपचिपा और मीठा बन जाता है और स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद माना जाता है। (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
सफेद लहसुन में एलिसिन होता है, जो तेज गंध और रोगाणुरोधक गुण देता है। काले लहसुन में एलिसिन फर्मेंटेशन के दौरान बदलकर शरीर में आसानी से अवशोषित होने वाले एंटीऑक्सीडेंट में बदल जाता है। इसमें एस-एलिल सिस्टीन (SAC) भी पाया जाता है, जो शरीर के लिए बेहद लाभकारी है। (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
काला लहसुन एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण रखता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और हृदय तथा लीवर को स्वस्थ बनाए रखता है। इसके नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में मदद मिल सकती है। (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
पतला खून रखने वाले लोगों को इसका सेवन कम करना चाहिए। इसके अलावा जिन लोगों का पेट संवेदनशील है, उन्हें काला लहसुन खाने से बचना चाहिए। किसी भी नए खाद्य पदार्थ को अपनी डाइट में शामिल करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
काला लहसुन अब आसानी से बाजार में उपलब्ध है। इसे सलाद, सूप या अन्य डिश में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह स्वाद में हल्का मीठा और चिपचिपा होता है। लोग इसे स्वास्थ्य लाभ के लिए रोजाना अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं। (फोटो सोर्स- इंटरनेट)