

जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित त्रिकुटा पहाड़ियों पर बने पवित्र माता वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा बुधवार (3 सितंबर) को लगातार नौंवे दिन भी रुकी रही। जम्मू के त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा भारी बारिश और भूस्खलन के चलते नौंवे दिन भी रुकी रही। श्रद्धालु कटरा बेस कैंप से लौटने को मजबूर।
भूस्खलन से वैष्णो देवी यात्रा स्थगित (Img: Google)
Jammu and Kashmir: रियासी जिले में स्थित त्रिकुटा पहाड़ियों पर बने पवित्र माता वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा बुधवार (3 सितंबर) को लगातार नौंवे दिन भी रुकी रही। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने यह कदम उठाया है।
अधिकारियों ने बताया कि बुधवार सुबह मंदिर मार्ग पर समर प्वाइंट क्षेत्र में भूस्खलन हुआ। सौभाग्य से उस समय वहां कोई श्रद्धालु मौजूद नहीं था, इसलिए जनहानि से बचाव हो गया। इसके बावजूद इलाके में खतरा बना हुआ है। एहतियातन आसपास के ठहराव केंद्रों को खाली करा दिया गया है।
यात्रा स्थगित होने के कारण आम दिनों की तरह श्रद्धालुओं की भीड़ नजर नहीं आ रही है। कटरा बेस कैंप पूरी तरह सुनसान हो चुका है। मौसम विभाग के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कटरा में 200 मिलीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई, जो जम्मू क्षेत्र में सबसे ज्यादा है।
वैष्णो देवी यात्रा ठप (Img: Google)
गौरतलब है कि 26 अगस्त को अर्धकुंवारी के निकट पुराने मार्ग पर बड़े भूस्खलन में 34 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और 20 लोग घायल हुए थे। इसी हादसे के बाद से यात्रा पूरी तरह बंद है। मंदिर में रोजाना नियमित पूजा-अर्चना और अनुष्ठान पुजारियों द्वारा जारी है, लेकिन आम श्रद्धालुओं को दर्शन का अवसर नहीं मिल पा रहा है।
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यात्रा निलंबन से दूर-दराज से आए भक्त निराश होकर लौट रहे हैं। महाराष्ट्र के नागपुर से आए एक श्रद्धालु ने बताया कि उन्होंने महीनों पहले यात्रा की बुकिंग की थी, लेकिन अब दर्शन न मिलने की वजह से उन्हें ‘दर्शनी ड्योढ़ी’ से ही पूजा-अर्चना कर घर लौटना पड़ रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि लगातार बारिश से बाणगंगा नदी और अन्य नालों का जलस्तर बढ़ा हुआ है। जब हालात सामान्य होंगे और 12 किलोमीटर लंबे मार्ग पर बाधाएं हटाई जाएंगी, तभी तीर्थयात्रा दोबारा शुरू की जाएगी।
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कोविड-19 प्रतिबंधों के बाद यह अब तक का सबसे लंबा समय है जब माता वैष्णो देवी यात्रा स्थगित रही है। वर्ष 2024 में लगभग 95 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे और औसतन प्रतिदिन 26 हजार से अधिक भक्त यहां पहुंचे थे। वित्त वर्ष 2024-25 (जनवरी तक) में मंदिर को 172 करोड़ रुपये का चढ़ावा मिला था।