बढ़ने वाली है स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें! बीजेपी नेता की शिकायत पर कोर्ट का चौंकाने वाला आदेश

उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ रामचरितमानस और तुलसीदास को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी हुआ है। यह आदेश वाराणसी के एमपी एमएलए कोर्ट ने दिया है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 7 August 2025, 4:40 PM IST
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Lucknow: उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और अपनी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ रामचरितमानस और तुलसीदास को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी हुआ है। यह आदेश वाराणसी के एमपी एमएलए कोर्ट ने दिया है। मामला जनवरी 2023 का है, जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक इंटरव्यू में रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने उस इंटरव्यू में कहा था कि करोड़ों हिंदू रामचरितमानस नहीं पढ़ते और इसे पढ़ना केवल एक मिथक है। उन्होंने कहा था कि तुलसीदास ने यह ग्रंथ अपनी प्रसन्नता के लिए लिखा है और इसमें से कुछ आपत्तिजनक शब्द हटा दिए गए हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने रामचरितमानस पर प्रतिबंध लगाने तक की बात कही थी। यह टिप्पणी बीजेपी के काशी क्षेत्र के उपाध्यक्ष अशोक कुमार के संज्ञान में आई, जिन्होंने वाराणसी कोर्ट में 24 जनवरी 2023 को एक वाद दायर किया।

इस मामले में कोर्ट ने पहले 17 अक्टूबर 2023 को प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था। हालांकि, पुनः रिवीजन दायर किए जाने के बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई करते हुए मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ उचित धाराओं में FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में पूरी जांच होनी चाहिए ताकि कानून के तहत कार्रवाई हो सके।

इस विवाद के बीच स्वामी प्रसाद मौर्य हाल ही में रायबरेली से भी चर्चा में आए हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें उन्हें एक युवक माला पहनाकर थप्पड़ मारते देखा गया। वीडियो में उनके समर्थकों ने उस युवक को जमकर पीटा। यह घटना भी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा का विषय बनी।

स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान और रायबरेली की घटना ने उनकी राजनीतिक छवि को प्रभावित किया है। वाराणसी कोर्ट के FIR दर्ज करने के आदेश से अब यह मामला और भी तूल पकड़ सकता है।

इस पूरे विवाद ने धार्मिक भावनाओं को भी झकझोर दिया है, क्योंकि रामचरितमानस भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यंत सम्मानित ग्रंथ है। ऐसे विवादित बयान न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी संवेदनशील माने जाते हैं।

अब अदालत की इस फैसले के बाद जांच पूरी होने के बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई होगी। वहीं राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर इस मुद्दे पर चर्चा जारी है। इस घटना ने उत्तर प्रदेश के राजनीतिक माहौल में एक नई बहस को जन्म दिया है।

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  • Barabanki

Published : 
  • 7 August 2025, 4:40 PM IST