

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जहां पूरा देश आज़ादी की 78वीं वर्षगांठ मना रहा था, वहीं समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने एक के बाद एक तीखे बयानों से सियासी हलचल मचा दी। संभल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बर्क ने प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा और बुलडोज़र कार्रवाई को संवैधानिक अधिकारों पर हमला करार दिया।
सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क (फोटो सोर्स गूगल)
Sambhal: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जहां पूरा देश आज़ादी की 78वीं वर्षगांठ मना रहा था, वहीं समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने एक के बाद एक तीखे बयानों से सियासी हलचल मचा दी। संभल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बर्क ने प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा और बुलडोज़र कार्रवाई को संवैधानिक अधिकारों पर हमला करार दिया।
उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में हालात ऐसे हो गए हैं कि बुलडोज़र सिर्फ अवैध निर्माण या दुकानों पर नहीं, बल्कि लोगों के संवैधानिक हकों और न्याय के सिद्धांतों पर भी चलाया जा रहा है। बर्क का सीधा आरोप था कि प्रशासन सज़ा देने का काम कर रहा है, जबकि यह पूरी तरह से न्यायपालिका का अधिकार है। उनका कहना था कि संविधान के दायरे को ताक पर रखकर सरकार अपनी मर्जी चला रही है।
अपने ही मकान पर लगे जुर्माने के सवाल पर सांसद ने साफ किया कि जुर्माना उन्होंने जमा कर दिया है, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि “सभी आदेश सही नहीं होते, और गलत आदेशों के खिलाफ आवाज़ उठाना भी लोकतांत्रिक अधिकार है।” उन्होंने माना कि कानून का पालन आवश्यक है, लेकिन जब आदेश अन्यायपूर्ण हों, तो उनका विरोध करना भी जरूरी है।
सिर्फ प्रदेश की नहीं, बर्क ने बिहार की राजनीति पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अगर 65 लाख वोटों को चुनाव से बाहर कर दिया जाएगा, तो वहां लोकतंत्र की नींव हिल जाएगी। उन्होंने इस कदम को लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बताया और कहा कि इससे चुनावों की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।
वहीं, समाजवादी पार्टी से पूजा पाल के निष्कासन पर बर्क ने दो टूक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि “कोई भी नेता अगर पार्टी लाइन से भटकता है, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई तय होती है। पार्टी का अनुशासन सर्वोपरि है और उसमें कोई ढील नहीं दी जा सकती।”
जियाउर्रहमान बर्क के बयानों ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि विपक्ष सरकार की कार्यशैली और लोकतांत्रिक संस्थाओं की अनदेखी पर सख्त रुख अपनाए हुए है। स्वतंत्रता दिवस के मंच से उनकी यह मुखर आवाज आने वाले समय में राजनीति में और हलचल पैदा कर सकती है।