

सोनभद्र के बीजपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बंद गेट के कारण महिला को खुले में प्रसव कराना पड़ा। परिजनों ने नर्स पर मदद की बजाय पैसे मांगने का आरोप लगाया। मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विभाग ने जांच शुरू कर दी है।
पीएन सिंह, चिकित्सा अधीक्षक
Sonbhadra: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के बीजपुर पुनर्वास प्रथम क्षेत्र से मानवता को शर्मसार करने वाली एक खबर सामने आई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) बीजपुर के ठीक सामने एक महिला ने खुले आसमान के नीचे, सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे दिया, और यह सब हुआ स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही और संवेदनहीनता के चलते।
गुरुवार की रात प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को उसके परिजन लेकर बीजपुर के PHC पहुंचे। लेकिन अस्पताल का गेट बंद था और न ही कोई स्वास्थ्यकर्मी मौजूद था। परिजनों ने आशा कार्यकर्ता को फोन किया, जो मौके पर पहुंची और हालात को देखते हुए तुरंत एनम (ANM) को सूचना दी। लेकिन एनम और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचे। ऐसे में घंटों सड़क पर तड़पने के बाद महिला ने वहीं बच्चे को जन्म दे दिया।
#सोनभद्र में एक महिला ने अस्पताल के बाहर खुले आसमान के नीचे बच्चे को जन्म दिया। गेट बंद था और स्वास्थ्यकर्मी समय पर नहीं पहुंचे। परिजनों ने लापरवाही पर कार्रवाई की मांग की है।#SonbhadraNews #HealthNegligence #OpenDelivery #AyushmanBharat pic.twitter.com/l4mOb3ERkt
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) September 5, 2025
पीड़ित सुजीत कुमार, जो प्रसूता के पति हैं, ने बताया कि उनकी पत्नी का पहले से ही PHC में चेकअप चल रहा था। प्रसव पीड़ा शुरू होते ही उन्होंने आशा बहु को सूचना दी, जिसने समय से प्रतिक्रिया दी, लेकिन बाकी स्वास्थ्यकर्मी नदारद रहे। सुजीत ने बताया कि उनकी पत्नी की हालत गंभीर होती जा रही थी और जब कोई विकल्प नहीं बचा, तो महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म दिया।
इस घटना से क्षेत्र में भारी आक्रोश फैल गया है। सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो वायरल हो चुके हैं, जिसमें देखा जा सकता है कि महिला खुले में लेटी हुई है और कोई मदद के लिए नहीं आ रहा। परिजनों ने आरोप लगाया कि बाद में जब एनम मौके पर पहुंची, तो उसने महिला और नवजात को अस्पताल में भर्ती तो किया, लेकिन साथ ही ₹200 की मांग भी की। हालांकि इस पर एनम का कहना है कि पैसे स्वेच्छा से परिजनों ने दिए, उसने कोई मांग नहीं की।
अस्पताल अधीक्षक पीएन सिंह ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, एनम जब पहुंची, तब तक महिला का प्रसव हो चुका था। उसने महिला और नवजात की जांच कर सुरक्षित भर्ती कराया गया। उन्होंने यह भी बताया कि एनम से स्पष्टीकरण मांगा गया है और नोटिस जारी कर दिया गया है।
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घटना के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से मांग की है कि दोषी स्वास्थ्यकर्मियों की जांच कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की शर्मनाक घटनाएं दोबारा न हों।
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ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं कितनी लचर हैं और जननी सुरक्षा जैसी योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। यदि समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो जाती, तो इस महिला को यह अपमानजनक और जानलेवा अनुभव नहीं झेलना पड़ता।