

नोएडा स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी जांच शुरू कर दी है। ईडी ने नोएडा प्राधिकरण से निर्माण, आवंटन, निगरानी और नियम उल्लंघन से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं। इससे पहले सीबीआई ने तीन बिल्डरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। सीएजी रिपोर्ट में घोटाले की राशि 9000 करोड़ रुपये बताई गई है।
नोएडा में 9 हजार करोड़ रुपये का घोटाला
Noida News: नोएडा की बहुचर्चित स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी अपनी जांच तेज कर दी है। सीबीआई के बाद ईडी ने भी नोएडा प्राधिकरण से विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट समेत कई दस्तावेजों की मांग की है। जिसमें स्पोर्ट्स सिटी योजना से जुड़े प्रमुख बिल्डरों और उनके सब-डिवीजन पार्टनर्स द्वारा किए गए निर्माण, आवंटन के साथ निगरानी की पूरी जानकारी शामिल है।
इन सवालों के जवाब मांगे
ईडी द्वारा मांगे गए दस्तावेजों में यह भी पूछा गया है कि निर्माण कार्यों की निगरानी की जिम्मेदारी किस अधिकारी के अधीन थी? किस स्तर पर नियमों की अनदेखी की गई? और प्रचार सामग्री (ब्रोशर) में कैसे प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज किया गया। साथ ही यह भी स्पष्ट करने को कहा गया है कि किन अधिकारियों और कर्मचारियों की देखरेख में यह योजना क्रियान्वित हुई।
आगे क्या हो सकता है?
ईडी इन दस्तावेजों के आधार पर स्थलीय निरीक्षण (site inspection) भी कर सकती है। वहीं सीबीआई भी अपनी जांच के अगले चरण में बिल्डरों से सीधी पूछताछ की तैयारी कर रही है।
तीन बिल्डरों पर एफआईआर, हाईकोर्ट ने दी थी जांच की मंजूरी
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में सीबीआई और ईडी दोनों जांच एजेंसियां सक्रिय हो चुकी हैं। सीबीआई अब तक इस मामले में तीन एफआईआर दर्ज कर चुकी है। इसमें लॉजिक्स इंफ्राडेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और जनायडु स्टेट शामिल हैं। आरोप है कि इन बिल्डरों ने 2011 से 2017 के बीच नोएडा प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों और कंसोर्टियम के साथ मिलीभगत कर आम लोगों के साथ धोखाधड़ी की। घर खरीदारों के पैसे का गलत इस्तेमाल करते हुए नियमों की धज्जियां उड़ाई गई।
9000 करोड़ रुपए का नुकसान
इस पूरे मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार को इस योजना के चलते लगभग 9000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
सीएजी ऑडिट रिपोर्ट में प्रमुख खुलासे
बिल्डरों को जमीन बहुत कम कीमत पर आवंटित की गई। लीज प्रीमियम, जुर्माना और ट्रांसफर चार्ज तक नहीं वसूले गए। डेवलपर्स ने नोएडा प्राधिकरण को साइडलाइन करते हुए संपत्तियों का स्वामित्व दूसरों को हस्तांतरित कर दिया। खेलों से जुड़ा बुनियादी ढांचा पूरा किए बिना ही अधिभोग प्रमाण पत्र (OC) जारी कर दिए गए। अब जब ईडी भी इस केस में सक्रिय हो गई है, तो बिल्डरों और संबंधित अधिकारियों पर शिकंजा कसना तय माना जा रहा है।