गैरकानूनी बुलडोज़र कार्रवाई: पत्रकार का घर तोड़ने वाले IAS अमरनाथ उपाध्याय को हाईकोर्ट से करारा झटका, याचिका खारिज

महराजगंज में वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश का पैतृक मकान बुलडोज़र से गैरकानूनी ढंग से गिराने के मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी IAS अमरनाथ उपाध्याय समेत दोषी अफसरों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अफसरों की बचाव याचिका को खारिज कर दिया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पहले ही इस कार्रवाई को अवैध करार दे चुके हैं।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 14 August 2025, 7:48 PM IST
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Prayagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महराजगंज में वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के पैतृक मकान को अवैध रूप से ध्वस्त कराने के मामले में दोषी अफसरों को बड़ा झटका देते हुए उनकी बचाव याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है। अदालत के इस फैसले से तत्कालीन जिलाधिकारी IAS अमरनाथ उपाध्याय समेत तमाम अफसरों की कानूनी मुश्किलें और गहरा गई हैं।

मामला सितंबर 2019 का है, जब महराजगंज जिला मुख्यालय पर स्थित वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के दो मंजिला पैतृक मकान और दुकानों को, अंदर मौजूद सभी सामानों समेत, तत्कालीन डीएम अमरनाथ उपाध्याय के आदेश पर बुलडोज़रों से गिरा दिया गया था। आरोप है कि यह कार्रवाई पूरी तरह गैरकानूनी और मनमानी थी।

पीड़ित पत्रकार ने इस घटना की शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) में की। नवंबर 2019 में आयोग की टीम दिल्ली से महराजगंज पहुंची और मौके पर जांच की। जांच रिपोर्ट में अफसरों को दोषी ठहराया गया। इसके बाद 6 जुलाई 2020 को NHRC के तत्कालीन अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एच.एल. दत्तू ने आदेश जारी कर राज्य के मुख्य सचिव को पीड़ित को पाँच लाख रुपये का दंडात्मक मुआवजा देने और सभी दोषी अधिकारियों पर कठोरतम विभागीय व दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। साथ ही, राज्य के डीजीपी को एफआईआर दर्ज कर CBCID से विवेचना कराने का आदेश भी दिया गया।

आयोग की कार्रवाई से बचने के लिए राज्य सरकार और अफसरों ने हाईकोर्ट में याचिका (रिट C-13599 ऑफ 2020) दायर की थी, जिसमें NHRC और पीड़ित पत्रकार को पक्षकार बनाया गया। बुधवार को न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया।

इससे पहले, 6 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने भी पीड़ित के चार पन्नों के पत्र को स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की थी और स्पष्ट कहा था कि पत्रकार का मकान अवैध तरीके से गिराया गया, इसके लिए अफसर दोषी हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य के मुख्य सचिव ने पीड़ित को पच्चीस लाख रुपये का दंडात्मक मुआवजा और अन्य क्षतिपूर्ति राशि दी। साथ ही, डीजीपी के निर्देश पर महराजगंज कोतवाली में तत्कालीन डीएम अमरनाथ उपाध्याय, तत्कालीन एडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल, एनएच के अधिशासी अभियंता मणिकांत अग्रवाल, इंजीनियरों, पुलिस व जिला प्रशासन के कई अफसरों और ठेकेदारों समेत कुल 26 नामजद आरोपियों पर आईपीसी की गंभीर धाराओं (147, 166, 167, 323, 504, 506, 427, 452, 342, 336, 355, 420, 467, 468, 471, 120बी) में एफआईआर दर्ज की गई। इस मामले की जांच फिलहाल CBCID कर रही है।

अमरनाथ उपाध्याय की रिटायरमेंट में अब केवल पाँच महीने बाकी हैं, लेकिन एक के बाद एक अदालत और जांच एजेंसियों से उन्हें झटके मिल रहे हैं। उनकी मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं—पीड़ित पत्रकार की एक अन्य शिकायत में उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त जस्टिस संजय मिश्र ने पूर्व डीएम को अवैध रूप से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का दोषी पाया है और राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि इस मामले की विस्तृत जांच यूपी पुलिस की विजिलेंस शाखा से कराई जाए।

Location : 
  • Prayagraj

Published : 
  • 14 August 2025, 7:48 PM IST