

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का एक बार फिर से विवादों में फंसा माहौल अब सिर्फ फीस वृद्धि या छात्र संघ चुनाव की मांग से कहीं आगे निकल गया है। छात्र अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के जरिए न केवल अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं, बल्कि यह संघर्ष अब विश्वविद्यालय के भविष्य और प्रशासन-छात्र रिश्तों की परीक्षा बन चुका है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (फोटो सोर्स गूगल)
Aligarh: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का एक बार फिर से विवादों में फंसा माहौल अब सिर्फ फीस वृद्धि या छात्र संघ चुनाव की मांग से कहीं आगे निकल गया है। छात्र अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के जरिए न केवल अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं, बल्कि यह संघर्ष अब विश्वविद्यालय के भविष्य और प्रशासन-छात्र रिश्तों की परीक्षा बन चुका है।
14 अगस्त को शुरू हुई भूख हड़ताल की वजह से कई विभागों के गेट बंद हो गए, जिससे कक्षाओं का संचालन बाधित हुआ। लेकिन यह सिर्फ एक फीस या चुनाव की मांग नहीं, बल्कि छात्रों की बदलती सोच और अधिकारों के लिए संघर्ष की झलक है। छात्र अपनी आवाज़ को शांतिपूर्ण लेकिन सशक्त तरीके से उठाना चाहते हैं, और इसी वजह से पूरी छात्र समुदाय में एकजुटता नजर आ रही है।
एएमयू प्रशासन ने फीस वृद्धि को 20 प्रतिशत तक सीमित करने का प्रस्ताव रखा है, परंतु नए प्रवेशार्थियों की फीस पर कोई स्पष्ट नीति अभी तक नहीं आई है। यह अस्पष्टता परिसर में असमंजस की स्थिति पैदा कर रही है। दूसरी ओर, बार-बार स्थगित हो रहे छात्र संघ चुनाव से छात्रों में विश्वास की कमी भी बढ़ रही है। प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम अली ने शांति और संवाद का आह्वान किया है, पर छात्रों का कहना है कि बिना उनकी मांगों को पूरी तरह सुने कोई समाधान संभव नहीं।
पुलिस की बड़ी टुकड़ी परिसर में तैनात की गई है, जिससे छात्रों और प्रशासन के बीच तनाव बढ़ा है। परंतु छात्र इसे सुरक्षा के रूप में देख रहे हैं और उन्होंने अपना आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण बनाए रखने की बात कही है। इससे साफ़ होता है कि यह संघर्ष न तो हिंसक है और न ही अव्यवस्थित, बल्कि एक संगठित आंदोलन है जो अधिकारों और स्वतंत्रता की मांग करता है।
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एएमयू की यह घटना बताती है कि छात्र केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं रहना चाहते, वे अपने अधिकारों और फैसलों में भागीदारी चाहते हैं। यह आंदोलन न केवल शुल्क या चुनाव का मुद्दा है, बल्कि यह विश्वविद्यालय की प्रशासनिक पारदर्शिता, छात्र-शासन संबंधों और लोकतांत्रिक मूल्यों की कसौटी है।
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