

पटना का पारस अस्पताल सोमवार को उस वक्त अपराध का अखाड़ा बन गया, जब ICU के भीतर घुसकर गैंगस्टर चंदन मिश्रा की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई। सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि पांच हथियारबंद अपराधी अस्पताल में दाखिल हुए, ICU तक पहुंचे और बिना किसी डर के गोलियां बरसाईं। यह वारदात सिर्फ एक गैंगवार नहीं, बल्कि बिहार की कानून-व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ( सोर्स इंटरनेट)
Patna: पटना का पारस अस्पताल सोमवार को उस वक्त अपराध का अखाड़ा बन गया, जब ICU के भीतर घुसकर गैंगस्टर चंदन मिश्रा की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई। सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि पांच हथियारबंद अपराधी अस्पताल में दाखिल हुए, ICU तक पहुंचे और बिना किसी डर के गोलियां बरसाईं। यह वारदात सिर्फ एक गैंगवार नहीं, बल्कि बिहार की कानून-व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, इस घटना ने सिर्फ बिहार नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति को भी गर्मा दिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस हत्या पर बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन पर तीखा हमला बोला। उन्होंने X (ट्विटर) पर बिहार ADG कुंदन कृष्णन का वीडियो साझा करते हुए लिखा “बिहार में बीजेपी सरकार रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बना रही है, जीरो टॉलरेंस होती जीरो।”
बिहार भाजपा सरकार रिकार्ड पर रिकॉर्ड बना रही है।जीरो टॉलरेंस होती जीरो!!! pic.twitter.com/bathFEPQJl
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 17, 2025
दरअसल, ADG कुंदन कृष्णन का बयान खुद इस मुद्दे को और संवेदनशील बना गया। उन्होंने हत्या के बढ़ते मामलों के लिए ‘किसानों की बेरोजगारी’ को जिम्मेदार ठहरा दिया। उनके मुताबिक, “अप्रैल, मई और जून के महीने में मर्डर इसलिए ज्यादा होते हैं क्योंकि किसान तब खाली रहते हैं।” उनके इस बयान ने न सिर्फ अधिकारियों की संवेदनहीनता उजागर की, बल्कि जनता के बीच आक्रोश भी पैदा किया।
वहीं पटना पुलिस का कहना है कि मामले में शामिल सभी पांच शूटरों की पहचान कर ली गई है। मुख्य शूटर की पहचान तौसीफ बादशाह के रूप में हुई है, जो सफेद शर्ट और नीली जींस में कैमरे में कैद हुआ है। बाकी चार की पहचान भी हो चुकी है, हालांकि नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
इस हत्याकांड ने साफ कर दिया है कि अस्पताल जैसी सुरक्षित जगहें भी अब अपराधियों के लिए आसान निशाना बन चुकी हैं। कानून-व्यवस्था की यह स्थिति चिंताजनक है, खासकर तब जब अपराधी पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की नाक के नीचे इस तरह का दुस्साहस कर रहे हों।
विपक्ष के हमलों के बीच सरकार की चुप्पी और अधिकारियों के बेतुके तर्क, दोनों ही इस बात के संकेत हैं कि बिहार को सिर्फ अपराध नियंत्रण की नहीं, बल्कि जवाबदेही और संवेदनशील शासन की भी जरूरत है।