

पंचायत सहायकों का आक्रोश शुक्रवार को सड़कों पर फूट पड़ा, जब उन्होंने अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर खंड विकास कार्यालय, कमालगंज के मुख्य गेट की घेराबंदी करते हुए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। भारी संख्या में एकत्रित हुए ग्राम पंचायत सहायकों ने नारेबाजी करते हुए प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे क्रॉप सर्वे का कार्य नहीं करेंगे।
कमालगंज में पंचायत सहायकों का फूटा गुस्सा
Kamalganj (Farrukhabad): पंचायत सहायकों का आक्रोश शुक्रवार को सड़कों पर फूट पड़ा, जब उन्होंने अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर खंड विकास कार्यालय, कमालगंज के मुख्य गेट की घेराबंदी करते हुए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। भारी संख्या में एकत्रित हुए ग्राम पंचायत सहायकों ने नारेबाजी करते हुए प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे क्रॉप सर्वे का कार्य नहीं करेंगे।
पंचायत सहायकों का आरोप है कि सरकार उन्हें लगातार अतिरिक्त कार्यों में झोंक रही है, जबकि उन्हें उचित संसाधन और समय पर मानदेय तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। उन्होंने बताया कि टैबलेट या मोबाइल डिवाइस की सुविधा न होने के कारण फील्ड में सर्वे जैसे कार्य करना मुश्किल हो गया है। इसके साथ ही मानदेय महीनों तक अटका रहता है, जिससे वे आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
धरना उस समय और उग्र हो गया जब खंड विकास अधिकारी (BDO) ने मौके पर पहुंचकर पंचायत सहायकों को फटकारते हुए कहा, “क्रॉप सर्वे पंचायत सहायक ही करेंगे। जिसे काम नहीं करना है, वह सीधा घर जाए। बिना अनुमति धरना देना गलत है।” इस बयान से नाराज पंचायत सहायकों ने और तीखी प्रतिक्रिया दी।
इसके बाद सहायक विकास अधिकारी (ADO) की टिप्पणी ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया। उन्होंने महिला पंचायत सहायकों को लक्ष्य कर कहा, “आपको 8–9 महीने का मानदेय बिना काम के दिया गया, फिर भी आप धरने पर बैठी हैं।” इस टिप्पणी को पंचायत सहायकों ने अपमानजनक और असंवेदनशील बताया और कहा कि अधिकारी समस्याओं के समाधान की बजाय उन्हें धमकाने में लगे हैं।
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पंचायत सहायकों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो आंदोलन को जिला और प्रदेश स्तर तक ले जाया जाएगा। धरना जारी रहेगा और वे किसी भी दबाव में नहीं झुकेंगे। आंदोलनकारियों ने साफ कहा है कि जब तक उनकी इन बुनियादी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक वे किसी भी कीमत पर पीछे हटने वाले नहीं हैं।