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बिहार विधानसभा में आज ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने सभी को चौंका दिया। आरजेडी विधायक मुकेश यादव गले में पाइप और शरीर पर नल पहनकर पहुंचे। उन्होंने नीतीश सरकार पर सीधा हमला बोला। बोले- “सीतामढ़ी बूंद-बूंद को तरस रहा है, और सरकार आंखें मूंदे बैठी है।”
आरजेडी विधायक मुकेश यादव
Patna: बिहार विधानसभा का मॉनसून सत्र गुरुवार को उस समय चर्चा का विषय बन गया जब सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा। लेकिन इस सत्र में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के विधायक मुकेश कुमार यादव ने, जो इस बार एक बेहद अनोखे अंदाज़ में विधानसभा पहुंचे।
सूत्रों के अनुसार, मुकेश यादव गले में पाइप की माला और शरीर पर नल लटकाए हुए नजर आए। ये प्रतीक मात्र नहीं थे, बल्कि नल-जल योजना की दुर्दशा पर सरकार के प्रति उनके गुस्से और निराशा का प्रतीक थे। उन्होंने विधानसभा भवन के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा, "नीतीश कुमार हाय-हाय! नल-जल फेल है। ये सरकार पूरी तरह निक्कमी हो चुकी है।" विधायक यादव ने आरोप लगाया कि सीतामढ़ी जिले में लोग पीने के पानी तक के लिए तरस रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की बहुचर्चित नल-जल योजना पूरी तरह फेल हो चुकी है, और सरकार ने इस पर ध्यान देना तक जरूरी नहीं समझा।
उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद मुख्यमंत्री, प्रधान सचिव, विभागीय मंत्री और जिले के कलेक्टर को पत्र लिखे हैं। लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। "आप हमारे विधानसभा क्षेत्र में चलिए, लोग आज भी पानी के लिए भटक रहे हैं। अगर योजना सही से चल रही होती तो सीतामढ़ी का ये हाल न होता। न खेतों में पानी है, न पीने के लिए। सोशल मीडिया पर भी लोग इसकी शिकायतें कर रहे हैं।"
विधानसभा के अंतिम दिन मुकेश यादव का यह प्रतीकात्मक विरोध एक बड़ा राजनीतिक संदेश दे गया। उन्होंने आरोप लगाया कि करोड़ों रुपये नल-जल योजना पर खर्च किए गए लेकिन इसका ज़मीन पर कोई असर नहीं दिख रहा है।सिर्फ मुकेश यादव ही नहीं, बल्कि विपक्षी दलों ने भी पिछले चार दिनों से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है, खासकर विशेष वोटर लिस्ट रिविजन को लेकर। इस मुद्दे को लेकर भी विपक्ष ने सदन में जोरदार हंगामा किया।
यह दृश्य ना केवल मीडिया में वायरल हो गया बल्कि सरकार के लिए भी शर्मनाक बन गया। पाइप और नल के सहारे विरोध दर्ज कराने का यह तरीका अनोखा जरूर था, लेकिन इसका संदेश बेहद तीखा और गहरा था।
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