सेना प्रमुख ने Operation Sindoor के बारे में किया चौंकाने वाला खुलासा, जानिए युद्ध के पीछे का क्या है सच

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 5 सितंबर, 2025 को मानेकशॉ सेंटर में लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केजेएस ढिल्लों की किताब ‘ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान में भारत के गहरे हमलों की अनकही कहानी’ का विमोचन किया। किताब भारत के एलओसी अभियान और सेना की वीरता की अनकही कहानी पेश करती है।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 6 September 2025, 11:37 AM IST
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New Delhi: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार (5 सितंबर, 2025) को नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केजेएस ढिल्लों द्वारा लिखी किताब ‘ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान में भारत के गहरे हमलों की अनकही कहानी’ का विमोचन किया।

किताब में ऑपरेशन की अनकही कहानी

यह किताब इस साल की शुरुआत में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार किए गए भारत के निर्णायक और बहु-आयामी सैन्य अभियान की कहानी बताती है। किताब में ऑपरेशन के दौरान लिए गए रणनीतिक और निर्णायक फैसलों का विवरण है। जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह अभियान केवल 88 घंटों तक सीमित नहीं था, जैसा कि आम धारणा है।

युद्ध 10 मई को खत्म नहीं हुआ

सेना प्रमुख ने बताया कि लोग सोचते हैं कि युद्ध 10 मई को समाप्त हो गया था, लेकिन वास्तविकता यह है कि ऑपरेशन काफी समय तक चला। इसमें कई महत्वपूर्ण फैसले शामिल थे—कब शुरू करना है, कब रोकना है, समय, स्थान और संसाधनों का उपयोग कैसे करना है। उन्होंने कहा कि 22-23 अप्रैल को सेना ने दिग्गज सैनिकों के साथ कई रणनीतिक विकल्पों पर विचार-विमर्श किया।

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ऑपरेशन सिंदूर पर सेना प्रमुख की टिप्पणी

जनरल द्विवेदी ने ऑपरेशन के दौरान एकजुटता पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय सेना एक लयबद्ध लहर की तरह आगे बढ़ी। उन्होंने बताया कि 88 घंटों के दौरान सभी सैनिक अपने आदेशों को अच्छी तरह समझते थे और पूरी तरह एकजुट थे। सेना प्रमुख ने स्पष्ट किया कि यह किताब केवल सैन्य कार्रवाई का विवरण नहीं है, बल्कि यह भारतीय सेना और देश के साहस, पेशेवर रवैये और अटल भावना को श्रद्धांजलि देती है।

एलओसी की लड़ाइयों का महत्व

जनरल द्विवेदी ने नियंत्रण रेखा की लड़ाइयों के महत्व को अक्सर नजरअंदाज किए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हम इस तरह के संघर्षों के इतने आदी हो गए हैं कि अक्सर इसकी अहमियत को समझ नहीं पाते। एलओसी पर वीरतापूर्ण संघर्ष और उसमें शामिल भावनाओं, नुकसान, उपलब्धियों और चुनौतियों को किताब में दर्ज किया गया है।

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भविष्य के लिए सीख और संरक्षित भावना

‘ऑपरेशन सिंदूर’ किताब का उद्देश्य ऑपरेशन के अनकहे पहलुओं को दर्ज करना और उसकी सीख एवं भावना को भविष्य के लिए संरक्षित करना है। सेना प्रमुख ने कहा कि यह किताब भारतीय सेना की दृढ़ता और रणनीतिक सोच का एक दस्तावेज़ है, जिसे पढ़कर आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिलेगी।

 

 

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