दुनिया की तीन बड़ी महाशक्तियों एक मंच पर: भारत के साथ चीन और रूस, ट्रंप पर भड़के पुतिन, जानें क्यों

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का शिखर सम्मेलन 31 अगस्त से चीन के तियानजिन में शुरू हो चुका है। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक साथ मौजूद हैं।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 31 August 2025, 1:54 PM IST
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New Delhi: दुनिया की तीन बड़ी महाशक्तियों भारत, चीन और रूस का नेतृत्व एक ही मंच पर आ खड़ा हुआ है। 31 अगस्त से चीन के तियानजिन शहर में शुरू हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल हो रहे हैं। इस भव्य कूटनीतिक आयोजन पर न केवल एशिया, बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हैं।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दिया बड़ा बयान

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आगामी बीजिंग में होने वाले चीन के स्वतंत्रता दिवस समारोह में भी शिरकत करेंगे। तियानजिन रवाना होने से पहले एक लिखित साक्षात्कार में बड़ा बयान दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हम किसी भी प्रकार के भेदभावपूर्ण प्रतिबंधों को स्वीकार नहीं करेंगे। उनका यह बयान अमेरिका को सीधे संदेश के तौर पर देखा जा रहा है, विशेषकर उस समय जब वैश्विक मंचों पर रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की बाढ़ है।

"स्वतंत्र राष्ट्र इन्हें स्वीकार नहीं कर सकता"

पुतिन ने कहा, “इन प्रतिबंधों से देशों का आर्थिक विकास प्रभावित होता है और कोई भी स्वतंत्र राष्ट्र इन्हें स्वीकार नहीं कर सकता।” इसके साथ ही उन्होंने ब्रिक्स और एससीओ जैसे बहुपक्षीय संगठनों की भूमिका को नई दिशा देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि ये मंच एक अधिक न्यायसंगत, बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को आकार देने में निर्णायक साबित हो रहे हैं।

पुतिन ने एससीओ की मूल भावना की सराहना करते हुए कहा कि इसका आकर्षण इसके “सरल लेकिन प्रभावशाली सिद्धांतों” में है। जैसे- साझा सहयोग की प्रतिबद्धता, किसी तीसरे पक्ष को निशाना न बनाना और सदस्य देशों की संप्रभुता का सम्मान। उन्होंने कहा कि यह संगठन न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को केंद्र में रखकर वैश्विक शांति की दिशा में कार्य करता है।

रूस के राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि तियानजिन में आयोजित यह शिखर सम्मेलन “एससीओ के इतिहास में मील का पत्थर” साबित होगा। उन्होंने भरोसा जताया कि चीन की अध्यक्षता में संगठन को नई गति और दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा, “हम चीन द्वारा तय प्राथमिकताओं का समर्थन करते हैं। ये प्राथमिकताएं एससीओ को मजबूत करने, क्षेत्रीय सहयोग को गहरा करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठन की भूमिका को सशक्त बनाने पर केंद्रित हैं।”

गौरतलब है कि चीन 2024-25 तक एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है और 2025 में अगला शिखर सम्मेलन भी चीन में ही आयोजित होना है। तियानजिन सम्मेलन के दौरान आर्थिक सहयोग, आतंकवाद-निरोधक रणनीति, ऊर्जा साझेदारी और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा की जा रही है।

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Published : 
  • 31 August 2025, 1:54 PM IST