

“यह घटना मेरे लिए भी बहुत दुखदायी थी। पुत्र वियोग संसार का सबसे बड़ा दुख है। भगवान श्रीराम ने भी अपने पुत्र लक्ष्मण के लिए बहुत दुख सहा था और श्रीरामचरित मानस में महाराज दशरथ ने भी पुत्र के वियोग में अपने प्राण त्याग दिए थे।”
पहलगाम आतंकी हमले में शहीद शुभम की पत्नी ऐशन्या और प्रेमानंदजी महाराज
New Delhi: पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के परिवार ने मथुरा में प्रसिद्ध संत प्रेमानंदजी महाराज से मुलाकात की और अपने दुखों को साझा किया। इस दौरान शुभम की पत्नी ऐशन्या ने अपनी भावनाओं का इज़हार करते हुए कहा, "महाराज, मेरे पति को आंखों के सामने मारा गया। मैं उस दृश्य को भूल नहीं पा रही हूं। मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों हुआ, लेकिन वह दृश्य बार-बार मेरी आंखों के सामने आता है।" ऐशन्या की बातों से स्पष्ट था कि वह उस दर्दनाक घटना से गहरे आहत हैं और इसका प्रभाव अभी तक उनके मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर पड़ा हुआ है।
प्रेमानंदजी महाराज ने क्या जवाब दिया?
यह सुनकर प्रेमानंदजी महाराज ने शांति से उन्हें समझाया और कहा, "भगवान का नियम निश्चित होता है, जिसका समय आता है, वही उस समय तक जीवित रहता है। शुभम द्विवेदी का यह समय आ गया था और इसीलिए उनकी मृत्यु पहलगाम में हुई।" उन्होंने कहा कि जब किसी व्यक्ति का समय आता है, तो कोई भी दुर्घटना, बीमारी या हमला उससे बच नहीं सकता है। वह निश्चित समय तक ही जीवित रहता है। महाराज ने ऐशन्या से कहा कि इस दुख को स्वीकार करना आसान नहीं है, लेकिन जितना जल्दी आप इस सत्य को स्वीकार कर लें, उतना ही दुख कम होगा।
"सब भगवान की लीला है"
इसके बाद प्रेमानंदजी महाराज ने परिवारजनों को नाम जाप की सलाह दी और कहा, "यह दुख और भी बढ़ सकता है, लेकिन इससे उबरने का एकमात्र रास्ता नाम जाप है, जिससे सबका कल्याण होगा और आंतरिक शांति प्राप्त होगी।" उन्होंने आगे कहा कि जो हुआ वह भगवान की लीला थी और इसे हम ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकार करें।
परिवार के अन्य सदस्य भी हुए प्रभावित
शुभम द्विवेदी के पिता संजय द्विवेदी ने प्रेमानंदजी महाराज से कहा, "हमारा बेटा आतंकी हमले में मारा गया। मैं हमेशा अच्छे काम और धर्म से जुड़ा रहा हूं, फिर भी ऐसा हुआ। इस घटना ने मुझे बहुत व्यथित किया है।" संजय द्विवेदी की बातों से यह स्पष्ट था कि वह इस दुख को समझ नहीं पा रहे थे और इसके कारण उनके मन में कई सवाल थे।
पुत्र वियोग संसार का सबसे बड़ा दुख
प्रेमानंदजी महाराज ने उत्तर दिया, "यह घटना मेरे लिए भी बहुत दुखदायी थी। पुत्र वियोग संसार का सबसे बड़ा दुख है। दशरथ ने भी अपने पुत्र श्रीराम के लिए बहुत दुख सहा था और श्रीरामचरित मानस में महाराज दशरथ ने भी पुत्र के वियोग में अपने प्राण त्याग दिए थे।" उन्होंने कहा कि संसार में पुत्र और भाई से बढ़कर कोई नहीं होता और उनका शोक स्वाभाविक है। मुलाकात के दौरान परिवार के अन्य सदस्य जैसे शुभम के चाचा ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज कुमार द्विवेदी, सुरेश कुमार दुबे और अन्य परिजन भी उपस्थित थे। प्रेमानंदजी महाराज ने परिवार को लगभग दस मिनट तक समझाया और उनके साथ गहरी संवेदना व्यक्त की।
क्या परिवार को मिली शांति?
प्रेमानंदजी महाराज के शब्दों ने शुभम द्विवेदी के परिवार को थोड़ा सुकून दिया, लेकिन यह दुख का घड़ा पूरी तरह से भर चुका था। परिवार ने स्वीकार किया कि यह घटना भगवान की इच्छा थी, लेकिन इससे उबरने में समय लगेगा। महाराज ने उन्हें धैर्य रखने की सलाह दी और कहा कि हर स्थिति में भगवान का नाम लेना ही सबसे बड़ा सहारा है।