आवारा कुत्तों और पशुओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा पशुओं के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को लागू करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन को वैक्सिनेशन और शेल्टर होम की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट का आवार कुत्तों पर फैसला
New Delhi: देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को आवारा कुत्तों और पशुओं के मामलों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने आवार कुत्तों के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को लागू करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों के परिसरों जैसे सार्वजनिक स्थलों से हटाना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवारा कुत्तों का वैक्सिनेशन कराना जरूरी होगा और उनको शेल्टर होम में रखना होगा। इसके साथ ही अदालत ने स्थानीय प्रशासन को इस आदेश पर अमल करने को कहा है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आवारा मवेशियों को हाईवे और सड़कों से तुरंत हटाएं। अदालत ने सभी राज्यों को तीन सप्ताह के अंदर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए यह फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और सरकारी परिसरों की चारदीवारी की जाए ताकि आवारा कुत्ते अंदर प्रवेश न कर सकें।
चोरी की चोरी ऊपर से सीनाजोरी! Asia Cup ट्रॉफी पर BCCI टशन दिखा रहे नकवी, जय शाह सिखाएंगे सबक?
कोर्ट ने साफ किया कि इन परिसरों से हटाए गए कुत्तों को वापस उसी क्षेत्र में नहीं छोड़ा जाएगा। उन्हें नसबंदी और टीकाकरण के बाद एनिमल शेल्टर में रखा जाएगा। इसके लिए राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। अदालत ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को तीन सप्ताह के भीतर इस आदेश के क्रियान्वयन की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी होगी कि वह नियमित रूप से इन परिसरों का निरीक्षण करे ताकि दोबारा आवारा कुत्ते या अन्य जानवर वहां प्रवेश न कर सकें। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सभी नेशनल और स्टेट हाईवे पर एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए, जिस पर लोग आवारा पशुओं की शिकायत दर्ज करा सकें।
पीठ ने कहा कि सड़कों और हाईवे पर घूमने वाले आवारा मवेशियों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिससे जन-जीवन और यातायात दोनों प्रभावित होते हैं। इसलिए सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD), नगर निगम (MCD), रोड और ट्रांसपोर्ट प्राधिकरणों को मिलकर इन मवेशियों को पकड़कर शेल्टर होम में भेजने का निर्देश दिया गया है।
वहीं, इस फैसले पर पशु अधिकार कार्यकर्ता और भाजपा सांसद मेनका गांधी ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि यह आदेश व्यावहारिक रूप से अमल में लाना बेहद कठिन है। “अगर किसी शहर में 8 लाख कुत्ते हैं और आप 5000 को हटा भी दें, तो इससे क्या फर्क पड़ेगा? उन्हें रखने के लिए पर्याप्त आश्रय गृह ही नहीं हैं,” उन्होंने कहा। मेनका गांधी ने यह भी सवाल उठाया कि बिना पर्याप्त संसाधनों और प्रशिक्षित कर्मचारियों के इतने बड़े पैमाने पर यह अभियान कैसे चलाया जाएगा।
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य किसी जानवर को नुकसान पहुंचाना नहीं है, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को सुनिश्चित करना है। कोर्ट ने कहा कि पशुओं के अधिकार और मानव सुरक्षा, दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है।