देवता को विश्राम नहीं करने दिया जा रहा… आखिर क्यों सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात; पढ़ें पूरी खबर

बांके बिहारी मंदिर में वीआईपी दर्शन और विशेष पूजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि आम श्रद्धालुओं के समय में देवता को भी विश्राम नहीं करने दिया जाता। मामले में हाई पावर्ड कमेटी और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया गया है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 15 December 2025, 3:16 PM IST
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New Delhi: श्री बांके बिहारी मंदिर में वीआईपी दर्शन और विशेष पूजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मंदिर में देवता को विश्राम तक नहीं करने दिया जा रहा है, जबकि आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन के द्वार बंद रहते हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की कि उसी समय मोटी फीस देने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष पूजा और दर्शन की व्यवस्था कर दी जाती है, जो आस्था और समानता के सिद्धांतों के विपरीत है।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने क्या कहा

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल पंचौली की पीठ मंदिर के सेवायतों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह याचिका कोर्ट द्वारा नियुक्त हाई पावर्ड कमेटी के निर्देशों के खिलाफ दाखिल की गई है। कमेटी ने आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का समय बढ़ाने की सिफारिश की है, जिसका मंदिर के सेवाधिकारी विरोध कर रहे हैं।

सेवायतों की याचिका का आधार

याचिका में श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 को चुनौती दी गई है। मंदिर के सेवाधिकारियों का कहना है कि मंदिर का प्रबंधन वर्ष 1939 में बनी एक विशेष योजना के तहत होता आ रहा है और उस पर राज्य सरकार या किसी बाहरी संस्था का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है। उनका दावा है कि मंदिर की परंपराएं सदियों पुरानी हैं और उनमें किसी तरह का बदलाव धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकता है।

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दर्शन की टाइमिंग को लेकर विवाद

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने कोर्ट को बताया कि दर्शन की टाइमिंग में बदलाव किया गया है, जो मंदिर के अनुष्ठानों का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा कि दर्शन का समय बढ़ाने का सीधा असर मंदिर के अंदर होने वाली दैनिक पूजा और अन्य धार्मिक क्रियाओं पर पड़ेगा।

इस पर मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने सवाल किया कि यदि दर्शन की टाइमिंग बढ़ा दी जाती है, तो इससे परेशानी क्या है। इस पर वकील ने दलील दी कि दर्शन समय बढ़ने का अर्थ है कि देवताओं के विश्राम और पूजा-अनुष्ठानों के समय में भी बदलाव होगा।

सीजेआई की तीखी टिप्पणी

सीजेआई सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि दिन में 12 बजे मंदिर बंद होने के बाद भी देवता को एक मिनट के लिए विश्राम नहीं करने दिया जाता। उसी समय सबसे ज्यादा उन्हें परेशान किया जाता है और मोटी फीस लेकर धनी लोगों के लिए स्पेशल पूजा करवाई जाती है।

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आम श्रद्धालुओं की संख्या पर बहस

कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि मूल दर्शन समय में 10 से 15 हजार श्रद्धालुओं की संख्या कम भी हो जाती है, तो इससे क्या फर्क पड़ेगा। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि मंदिर प्रशासन भगदड़ जैसी स्थिति नहीं चाहता और श्रद्धालुओं की संख्या को नियंत्रित करना आवश्यक है।

देहरी पूजा का मुद्दा भी उठा

सुनवाई के दौरान एक और अहम मुद्दा सामने आया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि देहरी पूजा, जो भगवान के चरणों के समीप एक विशेष स्थान पर की जाती थी, अब बंद कर दी गई है। वकील ने सुझाव दिया कि गुरु और शिष्य के बीच होने वाली इस पारंपरिक पूजा को समाप्त नहीं किया जाना चाहिए।

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Published : 
  • 15 December 2025, 3:16 PM IST