

4 जुलाई को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर उनकी प्रेरणादायी शिक्षाओं और जीवन को याद करें। उनके विचार आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं। आईये जानते हैं उनके कुछ अनमोल विचारों के बारे में
स्वामी विवेकानंद (सोर्स-गूगल)
New Delhi: आज 4 जुलाई को हम भारत के महान दार्शनिक, संत और युवा प्रेरणा के स्रोत स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि मना रहे हैं। जिन्होंने मात्र 39 वर्ष की आयु में 4 जुलाई 1902 को इस संसार को अलविदा कह दिया, लेकिन उनकी शिक्षाएं और विचार आज भी विश्व भर में गूंजते हैं। स्वामी विवेकानंद ने अपनी अध्यात्मिक सोच और वेदांत दर्शन से न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति और शास्त्रों के गहन ज्ञान से परिचित कराया। उनके जीवन और कार्यों ने लाखों लोगों को आत्मविश्वास, साहस और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा दी।
कोलकाता में हुआ था जन्म
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट में एक प्रख्यात वकील थे, जो तर्कशील और संस्कृति के गहरे जानकार थे। उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक और संवेदनशील गृहिणी थीं, जिन्होंने नरेंद्र के मन में धार्मिक और नैतिक मूल्यों का बीज बोया। नरेंद्र आठ भाई-बहनों में से एक थे और बचपन से ही उनकी असाधारण बुद्धिमत्ता और ऊर्जा सभी को आकर्षित करती थी। लोग उन्हें प्यार से नरेन या बिले कहकर बुलाते थे।
शरारत और साहस से भरा रहा बचपन
नरेंद्रनाथ का बचपन शरारतों, साहस और तेज स्मरण शक्ति से भरा था। उन्होंने 1871 में मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया और 1879 में प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता में उच्च शिक्षा शुरू की। कुश्ती, मुक्केबाजी और अन्य गतिविधियों में उनकी रुचि ने उनके व्यक्तित्व को और निखारा। मात्र 25 वर्ष की आयु में उन्होंने परिवार और सांसारिक जीवन को त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया और स्वामी विवेकानंद के रूप में विश्व पटल पर उभरे।
इस भाषण ने खींचा दुनिया का ध्यान
बता दें कि 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में उनके ऐतिहासिक भाषण ने दुनिया का ध्यान खींचा। "मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों" से शुरू होने वाला उनका यह भाषण आज भी विश्व प्रसिद्ध है। इस भाषण के माध्यम से उन्होंने भारतीय वेदांत और हिंदू दर्शन को पश्चिमी जगत के सामने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। उनकी वाक्पटुता और गहन विचारों ने विदेशी धरती पर भारत का गौरव बढ़ाया।
वहीं 1900 में अपनी दूसरी विदेश यात्रा से लौटने के बाद उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा। फिर भी, उन्होंने अपने शिष्यों और अनुयायियों को प्रेरित करना जारी रखा। 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी अल्पायु में ही उनके कार्यों ने एक अमर विरासत छोड़ी। उनके द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन आज भी समाज सेवा और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में सक्रिय है।
जो सोचते हो वही बन जाओगे
स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। उनका कहना था, "उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए।" उन्होंने आत्मविश्वास की शक्ति पर जोर देते हुए कहा, "जो तुम सोचते हो, वही बन जाओगे।" उनके ये विचार युवाओं को अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी शिक्षाएं न केवल व्यक्तिगत विकास, बल्कि सामाजिक उत्थान और वैश्विक एकता पर भी केंद्रित थीं।
भारत में उनके जन्मदिन को 1985 से राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो उनकी विरासत को और मजबूत करता है। स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर उनके विचारों को अपनाकर हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
स्वामी विवेकानंद के 5 अनमोल विचार
1-जब तक दुनिया में एक भी भूखा व्यक्ति रहेगा, मैं चुप नहीं बैठूंगा।
2-संगति आपको ऊपर उठा सकती है और ऊंचाई से नीचे भी गिरा सकती है। इसलिए अच्छे लोगों की संगति रखें।
3-सबकुछ खो देने से भी अधिक बुरी बात यह है कि हम यह आशा खो देते हैं कि हम सबकुछ वापस पा सकेंगे।
4-अगर पैसा दूसरों की भलाई करने में मदद करता है, तो इसका कुछ मूल्य है। अन्यथा यह सिर्फ़ बुराई का ढेर है। इससे जितनी जल्दी छुटकारा पाया जाए, उतना ही बेहतर है।
5-अगर एक दिन आपके सामने कोई समस्या न आए तो आप निश्चित हो सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर हैं।
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