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संसद में हंगामा: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा से पहले कार्यवाही फिर स्थगित, स्पीकर ने विपक्ष से कहा- “ये सदन है, तरीका ठीक रखिए”

लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर जारी गतिरोध फिलहाल थमता नहीं दिख रहा है। विपक्ष की आक्रामकता और सरकार की सख्ती के बीच संसदीय मर्यादाएं एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। अब सबकी निगाहें 1 बजे फिर से शुरू होने वाली कार्यवाही पर टिकी हैं।
Post Published By: Mayank Tawer
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संसद में हंगामा: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा से पहले कार्यवाही फिर स्थगित, स्पीकर ने विपक्ष से कहा- “ये सदन है, तरीका ठीक रखिए”

New Delhi: लोकसभा में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा शुरू होने से पहले ही विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा किया। विपक्ष के सदस्य वेल में आकर नारेबाजी और प्रदर्शन करने लगे, जिस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें कड़ी चेतावनी दी और नियमों का पालन करने को कहा।

“तरीका ठीक रखिए, ये सदन है”

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही जब स्पीकर ओम बिरला ने आसन ग्रहण किया तो विपक्षी सदस्य अपनी सीटें छोड़कर वेल में आ गए। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चा की मांग करते हुए शोर-शराबा करने लगे। इस पर अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा, “तरीका ठीक रखिए, ये सदन है। आपको ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करनी है या नहीं? करनी है तो अपनी सीट पर जाइए। कोई भी मुद्दा वेल में उठाने से चर्चा नहीं होगी। सदन में नियम और प्रक्रिया है। चर्चा बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में तय होती है।”

1 बजे तक स्थगित कार्यवाही

बावजूद उसके विपक्ष के सदस्य वेल से हटने को तैयार नहीं हुए। उनकी ओर से लगातार नारेबाजी होती रही, जिस पर अध्यक्ष ने कड़ी नाराजगी जताई और सदस्यों को चेताते हुए कहा कि इस तरह की अनुशासनहीनता स्वीकार नहीं की जाएगी। स्थिति बिगड़ती देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दोपहर 1 बजे तक स्थगित कर दी।

क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’?

‘ऑपरेशन सिंदूर’ हाल ही में सेना द्वारा सीमा पार किए गए एक गुप्त सैन्य अभियान का कोडनेम बताया जा रहा है, जिसे लेकर देशभर में चर्चा है। विपक्ष इस अभियान से जुड़े तथ्यों, निर्णय प्रक्रिया और पारदर्शिता को लेकर सरकार से जवाब मांग रहा है। वहीं सरकार का कहना है कि यह मामला राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा है और इसे राजनीतिक रंग देना उचित नहीं है।

विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध?

विपक्ष का आरोप है कि सरकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम पर जनता को भ्रमित कर रही है और सैनिकों के बलिदान पर राजनीति की जा रही है। विपक्ष चाहता है कि इस मुद्दे पर लोकसभा में विस्तृत चर्चा हो और रक्षा मंत्रालय जवाबदेह बने।

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