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मंगलुरु एयरपोर्ट पर केसी वेणुगोपाल के आगमन के दौरान कर्नाटक कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान फिर सामने आई। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के समर्थक आमने-सामने आ गए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट
वेणुगोपाल के आगमन पर फूटा विवाद (फोटो सोर्स गूगल)
Mangaluru: कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही सियासी खींचतान एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है। मंगलुरु एयरपोर्ट पर उस समय अप्रिय स्थिति पैदा हो गई जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव केसी वेणुगोपाल के आगमन के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के समर्थक आमने-सामने आ गए। वेणुगोपाल एयरपोर्ट से बाहर ही निकले थे कि शिवकुमार समर्थकों ने उनके पक्ष में नारे लगाने शुरू कर दिए। इसके तुरंत बाद सिद्धारमैया समर्थक सक्रिय हुए और “सीएम सिद्धारमैया के लिए पूर्ण कार्यकाल” के नारे गूंजने लगे।
यह घटनाक्रम इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे ठीक एक दिन पहले ही सिद्धारमैया और शिवकुमार ने साथ मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और कहा था कि कर्नाटक सरकार एकजुट है तथा दोनों के बीच किसी तरह का कोई मतभेद नहीं है। दोनों नेताओं ने दावा किया था कि वे “भाइयों की तरह” साथ काम कर रहे हैं और आलाकमान जो फैसला करेगा, उसका पालन होगा। लेकिन एयरपोर्ट पर हुई नारेबाज़ी ने इस एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह संकेत दिया है कि जमीनी स्तर पर सत्ता संतुलन की लड़ाई अभी जारी है।
घटना के बाद डीके शिवकुमार समर्थक गुट के नेता मिथुन राय ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि पार्टी में कोई प्रतिद्वंद्वी गुट मौजूद नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि पार्टी के कई कार्यकर्ता शिवकुमार को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, लेकिन इसे उन्होंने “कार्यकर्ताओं का स्वाभाविक स्नेह” बताया। राय ने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार मजबूती के साथ काम कर रही है और नेतृत्व परिवर्तन की कोई आधिकारिक चर्चा नहीं है।
यह पूरा मामला उस समय सामने आया जब केसी वेणुगोपाल कर्नाटक के मंगलुरु में नारायण गुरु–महात्मा गांधी संवाद के शताब्दी समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। यह कार्यक्रम मंगलुरु विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित किया गया था, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कई कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी उपस्थित थे।
हालांकि शीर्ष नेतृत्व एकजुटता का दावा कर रहा है, लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच दिखी इस नाराजगी और शक्ति-प्रदर्शन से यह साफ है कि कर्नाटक में सत्ता संतुलन की राजनीति अभी भी शांत नहीं हुई है। समर्थकों की यह नारेबाज़ी आने वाले समय में कांग्रेस आलाकमान के लिए चुनौती बन सकती है।